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– फोटो : अमर उजाला
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कैंट जीआरपी ने रविवार को आनंद विहार-मालदा टाउन ट्रेन से 237 कछुए बरामद किए। लावारिस हाल में आठ बैग से बरामद कछुओं की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक करोड़ रुपये आंकी गई है। वहीं, तस्करों के नेटवर्क को जीआरपी खंगाल रही है। आशंका है कि तंत्र मंत्र और शक्तिवर्धक दवाएं बनाने के लिए कछुओं की तस्करी की जा रही थी।
सीओ जीआरपी कुंवर प्रभात सिंह ने बताया कि आनंद विहार-मालदा टाउन जाने वाली ट्रेन संख्या 13430 की एस-2 और एस-3 बोगी में लावारिस हाल में आठ बैग बरामद हुए। सभी बैग में कछुए मिले। जीआरपी इंस्पेक्टर हेमंत सिंह ने बताया कि बोगी के यात्रियों से पूछताछ में पता चला कि हापुड़ के बाद किसी स्टेशन से बैग रखा गया था। बरामद कछुआ को वन विभाग की टीम सौंप दिया गया।
चंबल से पश्चिम बंगाल तक कछुओं की तस्करी का नेटवर्क
वन विभाग और जीआरपी के अनुसार बरामद कछुआ की तस्करी कर पश्चिम बंगाल ले जाया जा रहा था। बरामद कछुओं में कुछ विशेष प्रजाति के थे। पश्चिमी यूपी के इटावा, चंबल के आसपास यमुना, सिंधु, क्वारी जैसी नदियों और तालाबों में कछुए मिलते हैं। यहीं से इनकी तस्करी देश भर में हो रही है। यूपी में 50 से 100 रुपये में एक कछुआ आसानी से मिल जाता है।
पश्चिम बंगाल तक पहुंचाने पर पांच सौ से एक हजार रुपये में बिक जाते हैं। पश्चिम बंगाल से इसे चीन, थाईलैंड, बैंकॉक समेत कई देशों में ऊंची कीमत पर तस्करी कर बेचा जाता है। जिंदा कछुआ की कीमत ज्यादा होती है। वहीं, शक्ति वर्धक दवाओं में भी कछुओं का इस्तेमाल होता है। इस वजह से इनकी मांग और बढ़ जाती है।
आजकल वास्तु दोष दूर करने में हो रहा ज्यादा इस्तेमाल
कछुओं को वास्तु दोष दूर करने और सुख समृद्धि के लिए रखा जाता है। कांच के बर्तन में असली कछुओं को रखा जाता है। लोगों का मानना है कि घर में कछुआ रखने से धन ज्यादा आता है। इस वजह से भी कछुओं की तस्करी की जाती है।