नयी दिल्ली। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने पाया है कि वाराणसी में लगभग 12.8 करोड़ लीटर (128 मिलियन लीटर) अशोधित अपशिष्ट जल गंगा नदी में प्रतिदिन प्रवाहित हो रहा है। हरित पैनल वाराणसी में गंगा में घरेलू और औद्योगिक अपशिष्ट जल छोड़े जाने, जिससे धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं, के संबंध में एक मामले की सुनवाई कर रहा था। एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और इसके न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल की पीठ ने वाराणसी नगर निगम की एक रिपोर्ट पर गौर किया, जिसके अनुसार लगभग 28 मिलियन लीटर प्रतिदिन (एमएलडी) अनुपचारित मल-जल गंगा में प्रवाहित हो रहा है।
विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल और अफरोज़ अहमद की सदस्यता वाली पीठ ने कहा, ‘‘ रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया गया है कि वाराणसी नगर निगम और इसके विस्तारित क्षेत्र के भीतर 522 एमएलडी अपशिष्ट उत्पन्न होता है जबकि सात ‘सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट’ (एसटीपी) मौजूद हैं जिनकी निर्धारित क्षमता लगभग 422 एमएलडी है।’’ पीठ ने पिछले महीने पारित अपने आदेश में कहा, ‘‘इसलिए, यदि हम मान लें कि सभी एसटीपी अपनी निर्धारित क्षमता के अनुरूप काम कर रहे हैं, तो भी करीब 100 एमएलडी का अंतराल है।’’
हरित पैनल द्वारा यह कहने के बाद कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने अपना जवाब दाखिल नहीं किया है, बोर्ड के वकील ने दोषी निकायों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए चार सप्ताह का समय मांगा। एनजीटी ने कहा, ‘‘इसलिए यूपीपीसीबी को सुनवाई की अगली तारीख (चार अप्रैल) से कम से कम एक सप्ताह पहले ताजा कार्रवाई की रिपोर्ट दाखिल करने दें।
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