वाराणसी29 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
वाराणसी के लक्ष्मीकुंड पर सजने वाला सोरहिया मेला आज से प्रारम्भ हो गया। महालक्ष्मी मंदिर में 16 दिनों तक पूजा पाठ के लिए भीड़ उमड़ेगी। इस बार सोरहिया मेले की शुरुआत सौभाग्य योग में हो रही है। जिससे श्रद्धालुओं पर कृपा बरसेगी। पहले दिन ती पूजा के लिए भक्त लक्ष्मी जी की विशेष प्रतिमा व उनका वस्त्र खरीदने में व्यस्त नजर आए।
मंदिर के महंत शिवप्रसाद पांडेय लिंगिया महाराज ने बताया कि सोरहिया का महा अनुष्ठान आरंभ हो गया है और यह जीवित्पुत्रिका व्रत तक चलेगा। 16 दिन के व्रत और पूजन में स्नान और 16 आचमन के बाद देवी विग्रह की 16 परिक्रमा की जाती है। माता को 16 चावल के दाने, 16 दूर्वा और 16 पल्लव अर्पित किए जाते हैं। व्रत के लिए 16 गांठ का धागा धारण किया जाता है। जो कथा सुनी जाती है। इसमें 16 शब्द होते हैं। 16वें दिन जीवित्पुत्रिका या ज्यूतिया के निर्जला व्रत के साथ पूजन का समापन होता है।
दर्शन करने के लिए उमड़ी भीड़।
आरती के बाद भक्त करते हैं दर्शन
सोरहिया मेले को लेकर वाराणसी के लक्सा महालक्ष्मी मंदिर को सजाया गया है। महालक्ष्मी मंदिर में सरस्वती, लक्ष्मी और काली को मुखौटे से सजाया जाता है। भोर में ही मां लक्ष्मी का पंचामृत से स्नान कराया जाता है। उसके बाद लक्ष्मी जी की विधिवत आरती की जाती है। आरती के बाद भक्तों को दर्शन के लिए गर्भगृह खोल दिया जाता है।
मंदिर को भव्य तरीके से सजाया गया।
जीवित्पुत्रिका के दिन मेला समाप्त होगा
मेले के पहले दिन 16 गांठ के धागा की पूजा कर बांह में बांधने के बाद 16 दिन व्रत स्त्रियां शुरू करती है। डलिया में सजी मां लक्ष्मी का मुखौटा घर ले जाकर पूजते हैं। आखिरी दिन जीवित्पुत्रिका व्रत के लिए महिलाओं दर्शन के लिए आती है। व्रत रखने वाली स्त्रियां पहले ही दिन से मां लक्ष्मी की मूर्ति में धागा लपेट कर पूरे सोलह दिन पूजा करती है और अंतिम 16वें दिन जीवित्पुत्रिका के दिन व्रत का समापन करती है।