वाराणसी में ठंड ने तोड़ा 50 साल का रिकॉर्ड, श्रद्धालुओं की संख्या में आई तेज गिरावट, पुरोहित परेशान

अभिषेक जायसवाल/वाराणसी: उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड और शीतलहर का कहर जारी है. इस कहर का सीधा असर अब धार्मिक अनुष्ठानों पर भी देखने को मिल रहा है. भगवान भोले की काशी में गंगा में डुबकी लगाने वालों की संख्या में इन दिनों भारी कमी आई है. हालात ये है कि दिन के 11 बजे तक इक्का दुक्का लोग ही घाटों पर स्नान करते दिख रहे है. बीते एक सप्ताह से ऐसी ही स्थिति बनी हुई है.

इतना ही नहीं दूसरे धार्मिक अनुष्ठानों के लिए भी लोग घाटों पर आने से परहेज कर रहे है. अस्सी घाट के तीर्थ पुरोहित बलराम मिश्रा ने बताया कि ठंड के कारण घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ नहीं है. सिर्फ बाहर से आने वाले श्रद्धालु ही नहीं बल्कि नियमित गंगा स्नान करने वाले भी इस कड़ाके के ठंड में गंगा में डुबकी लगाने से बच रहे है.

आजीविका पर संकट
श्रद्धालुओं की भीड़ में कमी के कारण स्थानीय पुरोहित भी परेशान है और उनपर आजीविका का संकट भी मंडरा रहा है. क्योंकि हर दिन इन्ही पूजा अनुष्ठानों से पुरोहित लोगों को कुछ कमाई होती है और उनका घर चलता है.

28 जनवरी तक नहीं मिलेगी राहत
मौसम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार वाराणसी में बुधवार को न्यूनतम तापमान 6 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया. वहीं बात अधिकतम तापमान की करें तो वो 11.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ. जानकार बताते है कि करीब 50 साल बाद जनवरी में दिन का अधिकतम तापमान 11.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ है. इसके पहले 2003 में अधिकतम तापमान जनवरी के महीने में 17.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ था. बीएचयू के मौसम वैज्ञानिक प्रोफेसर मनोज कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि अभी 28 जनवरी तक शीतलहर का कहर ऐसे ही देखने को मिलेगा.

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