वह घर जहां नंद यशोदा के साथ रहते थे भगवान कृष्ण, संतान प्राप्ति की पूरी…

सौरव पाल/मथुरा. कृष्ण नगरी मथुरा ऐसा स्थान है जहां लाखों की संख्या में लोग भगवान कृष्ण के भव्य मंदिरों और उन स्थानों के दर्शन करने आते हैं, जहां भगवान कृष्ण ने कोई ना कोई लीला की हो. उनमें से कई स्थान आज भी मथुरा और ब्रज क्षेत्र में मौजूद हैं. ऐसा ही एक स्थान है गोकुल गांव, जहां भगवान कृष्ण को वासुदेव जी टोकरी में उठा कर नंद बाबा के घर ले आए थे.

श्री नंद बाबा भवन गोकुल के ठकुरानी घाट पर स्थित है. मान्यताओं के अनुसार यह भवन उसी स्थान पर बना हुआ है जहां करीब 5500 हजार वर्ष पहले नंद बाबा का घर था. इसी घर से भगवान कृष्ण ने अपनी अनेकों बाल लीलाएं की थी. मंदिर सेवायत मथुरा दास पुजारी ने बताया कि नंद बाबा के पास लाखों की संख्या में गाय थी. जिसकी वजह से इस स्थान को गोकुल कहा जाता था. बाद में इस गांव का नाम बदलकर गोकुल पड़ गया.

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यहां बीता था श्री कृष्ण का बचपन
पुराणों के अनुसार यमुना नदी के पास स्थित यह वही स्थान है जहां द्वापर के समय नंदबाबा का घर हुआ करता था. इसके साथ ही इस मंदिर को भी करीब 500 साल पहले बनाया गया था. इस मंदिर के ठीक बराबर में यमुना नदी बहती है. इसके साथ ही इस मंदिर में पूरे नंद परिवार के दर्शन भी होते है. जिसमें सबसे बड़ा स्वरूप बलदाऊ जी और नंद यशोदा का है. साथ ही बाल रूप में भगवान कृष्ण झूले पर विराजमान है. इस मंदिर में आने पर सभी भक्त भगवान को झूला जरूर झुलाते हैं. मान्यता है कि जो भी भक्त साथ ही जिस विवाहित जोड़े के कोई संतान न हो उसकी इस मंदिर में आकर भगवान कृष्ण को झूला झुलाने से संतान प्राप्ति की मनोकामना भी पूरी होती है.

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