हाइलाइट्स
वसंत पंचमी के अवसर पर ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती की जयंती मनाई जाती है.
माता सरस्वती को पीले मीठे चावल, केसर आदि का भोग लगाएं.
पूजा मंत्र और सरस्वती वंदना पढ़ें. फिर घी के दीपक या कपूर से माता सरस्वती की आरती करें.
वसंत पंचमी और सरस्वती पूजा का पावन पर्व 14 फरवरी बुधवार को है. वसंत पंचमी के अवसर पर ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती की जयंती मनाई जाती है. वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती का प्रकाट्य हुआ था. इस वजह से इस दिन मां सरस्वती की पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं ताकि शिक्षा, परीक्षा, करियर आदि में कामयाबी हासिल हो. वसंत पचंमी के दिन पूजा के समय सरस्वती वंदना करनी चाहिए और उसके बाद सरस्वती माता की आरती करनी चाहिए. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं कि सरस्वती वंदना, वसंत पंचमी पूजा मंत्र और सरस्वती माता की आरती क्या है?
सरस्वती वंदना
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता,
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता,
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं,
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।
हस्ते स्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्,
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥
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सरस्वती पूजा मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धि-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
सरस्वती माता की आरती
जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता।
सद्गुण, वैभवशालिनि, त्रिभुवन विख्याता।। जय सरस्वती माता…
चन्द्रवदनि, पद्मासिनि द्युति मंगलकारी।
सोहे हंस-सवारी, अतुल तेजधारी।। जय सरस्वती माता…
बायें कर में वीणा, दूजे कर माला।
शीश मुकुट-मणि सोहे, गले मोतियन माला।। जय सरस्वती माता…
देव शरण में आये, उनका उद्धार किया।
पैठि मंथरा दासी, असुर-संहार किया।। जय सरस्वती माता…
वेद-ज्ञान-प्रदायिनी, बुद्धि-प्रकाश करो।।
मोहज्ञान तिमिर का सत्वर नाश करो।। जय सरस्वती माता…
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धूप-दीप-फल-मेवा-पूजा स्वीकार करो।
ज्ञान-चक्षु दे माता, सब गुण-ज्ञान भरो।। जय सरस्वती माता…
माँ सरस्वती की आरती, जो कोई जन गावे।
हितकारी, सुखकारी ज्ञान-भक्ति पावे।। जय सरस्वती माता…
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।
सरस्वती पूजा की विधि
वसंत पंचमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान के बाद सूर्य देव की पूजा करें. फिर सूर्योदय के बाद शुभ मुहूर्त में एक चौकी पर माता सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित कर दें. देवी सरस्वती को पीले और सफेद फूल, अक्षत्, सिंदूर, पीले गुलाल, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें. माता सरस्वती को पीले मीठे चावल, केसर आदि का भोग लगाएं.
इसके बाद सरस्वती पूजा मंत्र और सरस्वती वंदना पढ़ें. फिर घी के दीपक या कपूर से माता सरस्वती की आरती करें. कहा जाता है कि आरती करने से पूजा में हुई कमियां दूर हो जाती हैं. आरती करने से पूजा पूर्ण होती है. इस वजह से हर पूजा के अंत में आरती की जाती है.
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Tags: Basant Panchami, Dharma Aastha, Religion, Saraswati Puja
FIRST PUBLISHED : February 13, 2024, 18:01 IST