वर्तमान में कैंसर हर किसी को होता देखा जा रहा है आखिर इतनी भयावह बीमारी इतनी सामान्य कैसे हो गई ?

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Nowadays cancer is seen happening to everyone    How did such a terrible disease become so common - Health Tips in Hindi




जी कोलगेट मैक्स फ्रेश जेल का नाम सुना है आपने ?
एरियल, टाइड, सर्फएक्सेल इन सब में रंग बिरंगे दाने भी देखे ही होंगे ?
स्ट्रॉ, प्लास्टिक का कप, पानी की बोतलें ये सब पानी को अशुद्ध कर रहे है, प्लास्टिक की बोतल में भी पानी के साथ माइक्रो प्लास्टिक पिया जा रहा है, साथ ही जो लोग मछली का सेवन करते वो लोग पानी में मिला हुआ ये- मैक्स फ्रेश जेल और सर्फ के सफाई के दाने ये सब डाले जाते है, जो होता है वास्तव में प्लास्टिक इसीलिए कई देशों में इन पर बैन है।
ये दाना इतना छोटा होता है कि फिल्टर के बाद भी पानी में घुला रहता है, सिलिकॉन डव शेम्पो में से जो जाता है पानी में, जिसे खाती मछलियां और अन्य जलीय जीव और उन्हे खाते है इंसान…

अब बात करते है हवा की,
प्रदूषण के बारे में सब कहते है तो मैं भी कुछ और बताता हूं टेलिफोन, कंप्यूटर, इंटरनेट से निकली तरंगें चिड़िया और जानवरों के रिप्रोडक्टिव सिस्टम को खराब कर रही तो हम पर भी कुछ अच्छा असर नहीं कर रही है
दिनोंदिन इंसान गुस्सेल और नासमझ होता जा रहा है, छोटी बातो में गोलियां चलाने वाला, मतलब कैंसर रोग ही नहीं आक्रामक ओर सनकी भी हो रहा है।
ज़मीन कम और खाने वाले लोग ज्यादा
तो उनके लिए प्रोडक्शन ज़्यादा करने के लिए केमिकल का इस्तेमाल करते जा रहे है, पहले जो हल्दी बड़ी से बड़ी बीमारी ठीक कर देती थी वो आज बेअसर हो रही है?
तो खाना भी हम केमिकल से युक्त जल्दी समय में बना खा रहे, दूध पहले मिट्टी के बर्तन में चढ़ा कर लम्बे समय तक गर्म करते रहते थे, धीरे धीरे गरम होकर दूध लाल हो जाता था, अब स्टील या एल्युमिनियम के बर्तनों में गर्म करके काम लेने से तो दूध शरीर में नुकसान ही कर रहा है।
प्रेशर कूकर था ही नहीं
वो दालो को जल्दी उबाल कर उनकी पोष्टिका खत्म कर देता, पहले तो बिना कुकर के धीमी आंच पर कितनी स्वादिष्ट दाल बनती थी।
सब कुछ खराब हो गया, पहले डालडा घी का भी इतना स्वाद था जितना आजकल का थेली वाला देसी घी भी नहीं है,।
गौ माता भी क्या कर लेंगी उनके मिलावटी चारे भी प्लास्टिक की बोरियों में ही आते है।
हवा गंदी, पानी दूषित, खाना अशुद्ध – इंसान बस मरने की राह पर अग्रसर है, यूं ही नहीं कहते कलयुग में ना जानवर होंगे ना ही इंसानों कि उम्र 20 वर्ष से ज्यादा होगी।

वापस प्रकृति की और लोटें।
स्वंय का जीवन निरोगी बनायें।
स्वस्थ राष्ट्र के निर्माण में योगदान दें।
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डा पीयूष त्रिवेदी आयुर्वेद चिकित्सा प्रभारी राजस्थान विधान सभा जयपुर ।

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