वनवास के दौरान राम ने यहां किया था रात्रि विश्राम, सीता के लिए बनवाया कुंड

रिपोर्ट – दीपक पाण्डेय

खरगोन. मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ऐलान किया है कि वनवास के दौरान जहां-जहां से प्रभु श्रीराम गुजरे हैं, वहां राम वनगमन पथ मार्ग बनाया जाएगा. इसी क्रम में खरगोन जिले के केरियाखेड़ी स्थित राम-सीता कुंड के पुनरुद्धार की योजना भी बन रही है. यहां भगवान राम ने वनवास के दौरान पत्नी सीता और अनुज लक्ष्मण के साथ रात्रि विश्राम किया था. खरगोन जिला मुख्यालय से करीब 63 किमी दूर महेश्वर तहसील के ग्राम केरियाखेड़ी में राम-सीता कुंड है. किवदंती है कि वनवास के दौरान जल स्रोत के लिए राम ने ही ये दोनों कुण्ड बनवाए थे. राम कुंड के पानी का उपयोग राम और लक्ष्मण ने किया. सीता के लिए अलग कुंड खोदा गया. बाद में अहिल्या बाई होलकर ने इस कुण्ड का जीर्णोद्धार करवाया. अब यह स्थान खासगी ट्रस्ट के अधीन है.

इसलिए खोदे कुंड
ग्रामीण श्रीराम सिसोदिया, रमेश ठाकुर एवं राजेश रंधावा ने बताया कि अयोध्या से निकलने के बाद जंगलों के रास्ते गमन करते हुए प्रभु श्रीराम, लक्ष्मण और सीता यहां पहुंचे थे. पानी का स्रोत नहीं होने की वजह से राम ने यह कुंड खुदवाए थे. सीता के स्नान के लिए अलग कुंड खोदा गया. दोनों कुंड जमीन के रास्ते एक दूसरे से जुड़े हैं. कुंड करीब 30 फिट गहरे हैं. यहां के बाद राम देवास जिले के सीतावन के लिए आगे बढ़ गए थे. ग्रामीणों का मानना है कि यह तपोभूमि भी है. साल 1989 में एक संत यहां तपस्या करने आए थे, तब चमत्कार भी देखे गए. जहां राम जी की प्रतिमा है वहां अचानक पानी में आग प्रज्वलित हुई. 9 दिनों तक संत ने त्रिशुल पर बैठकर तपस्या की है.

ऐसे लगी जानकारी
ग्रामीणों का कहना है कि राम-सीता कुंड के बारे जानकारी उन्हें अपने पूर्वजों से मिली है. पुराणों में भी इसका उल्लेख मिलता है. किले में भी कुंड से जुड़े प्रमाण हैं. बताया जाता है कि होलकर राज्य में कुंड से पानी खींचने के लिए टर्बाइन लगाई थी. बैलों की सहायता से पानी खींचा जाता था. कई वर्षों तक गांव में पीने का पानी भी यहीं से सप्लाई हुआ है.

जलमग्न रहती हैं प्रतिमाएं
लाड़वी पंचायत के सरपंच रतन सिंह रंधावा ने बताया कि लगभग पांच लाख रुपए की लागत से कुंड की रिपेयरिंग और परिसर का सौंदर्यीकरण किया गया है. दूर-दूर से पर्यटक एवं श्रद्धालु राम-सीता कुंड देखने आते हैं. राम कुंड में राम, लक्ष्मण, सीता, शिव परिवार, बलराम, हाथ जोड़े कंधे पर धनुष रखे हनुमान जी सहित अन्य देवताओं की प्रतिमाएं हैं. खास बात यह है की सभी प्रतिमाएं आधी जलमग्न रहती हैं.

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