वनवास के दौरान भगवान राम ने अपने हाथों से किया था इस कुटिया का निर्माण, जानिए मान्यता

विकाश कुमार/ चित्रकूट: भगवान श्रीराम की वनवास स्थली चित्रकूट में अत्यंत प्राचीन ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थल हैं. यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आकर यहां बने मठ-मंदिरों में पूजा पाठ करते हैं. मान्यताओं के मुताबिक भगवान राम ने चित्रकूट में भी अपने वनवास के दौरान साढ़े 11 वर्ष का समय बिताया था, जहां उनके साथ माता सीता और अनुज लखन साथ थे. आज हम चित्रकूट के एक ऐसे स्थान के बारे में आपको बताने जा रहे हैं जहां खुद प्रभु श्री राम ने आपके हाथों से घास-फूस और पत्तों से कुटिया का निर्माण किया था.

हम बात कर रहे है चित्रकूट के रामघाट से 500 मीटर दूर बने पर्णकुटी स्थान की. जहां प्रभु श्री राम ने अपने हाथो से घास-फूस और पत्तों से कुटिया का निर्माण किया था. यहां प्रभु श्री राम, माता सीता विश्राम किया करते थे. तो वही दूसरी ओर बनी एक कुटिया में रहकर लक्ष्मण जी सुरक्षा के दायित्वों का निर्वहन किया करते थे. इस पत्ते और घास फूस से बनी हुई कुटी को पर्णकुटी के नाम से जाना जाता है.

भगवान राम की तपोभूमि है चित्रकूट

मंदिर के पुजारी कृष्ण दास ने बताया कि प्रभु श्री राम ने अपने हाथों से इस कुटिया का निर्माण किया था. जहां वह माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ रहा करते थे और इसी कुटिया में वह साधु संतों के साथ सत्संग भी किया करते थे. उन्होंने बताया कि त्रेता युग में जब अयोध्या नरेश राजा दशरथ के पुत्र भगवान श्रीराम पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण सहित 14 वर्ष के वनवास के लिए निकले थे. तब उन्होंने आदि ऋषि वाल्मीकि की प्रेरणा से तप और साधना के लिए चित्रकूट आए थे.

पर्णकुटी मंदिर की धार्मिक मान्यता

धार्मिक मान्यता है कि चित्रकूट में भगवान श्रीराम ने कुल 24 कुटियों का निर्माण किया था. परंतु सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान पर्णकुटी को माना जाता है. क्योंकी प्रभु श्री राम ने माता सीता के साथ यहां अधिक समय बिताया और वह यहीं रात्रि में विश्राम किया करते थे. इसी कुटिया में भगवान राम साधु संतों के साथ दरबार भी लगाया करते थे.

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