धीरज कुमार/मधेपुरा. ग्वालपाड़ा प्रखंड के नौहर गांव में स्थित हजारों वर्ष पुराना वट वृक्ष ग्रामीणों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है. इस वट वृक्ष के नीचे में लोगों का दावा है कि एक खजाना छुपा हुआ है, और इसके साथ-साथ यहां अन्य देवी-देवताओं की पत्थरों का अनुमान भी लगाया जा रहा है. मंदिर के पुजारी, पंडित गूजो झा, बता रहे हैं कि इस स्थान पर तीन पीढ़ियों से पुजारी के रूप में सेवा दी जा रही है, और इसे पर्यटन स्थल के रूप में भी घोषित किया गया है. साथ ही, इस जगह पर लक्ष्मी नारायण मंदिर और एक तालाब भी हैं, जो इस स्थल की महत्ता को और बढ़ाते हैं.
हजारों वर्ष पुराना है वट वृक्ष
ग्वालपाड़ा प्रखंड के नौहर गांव में स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर परिसर में हजारों वर्ष पुराना वट वृक्ष गांववालों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है. यहां के लोग दावा करते हैं कि इस वट वृक्ष के एक हिस्से में खुदाई के दौरान कई सारे पत्थर और मूर्तियां भी निकल चुकी हैं, जिससे इसका ऐतिहासिक महत्व और बढ़ता है. इसके अलावा, खुदाई के दौरान विशाल शिवलिंग भी प्रकट हुआ था. गांववालों के अनुसार, यह वट वृक्ष हजारों वर्षों से भी पुराना है और इसके साथ मंदिर के सामने एक तालाब है, जिसका उपयोग कभी राहगीरों के ठहरने और खाना पकाने के लिए किया जाता था.
खुदाई में मिलते हैं महल के अवशेष
मंदिर के पुजारी, पंडित गूजो झा, ने बताया कि लक्ष्मी नारायण मंदिर परिसर का यह वट वृक्ष हजारों वर्ष पुराना है. पिछले 3-4 वर्षों में हुई खुदाई के दौरान यहां से किसी महल के कुछ अवशेष और देवी-देवताओं की पत्थर की मूर्तियां भी निकलीं थीं. कई ऐसे पत्थर भी मिले जो काफी प्राचीन माने जा रहे हैं, और वर्तमान में भी समय-समय पर खुदाई चल रही है. यहां पर कोसी-सीमांचल समेत उत्तर बिहार के श्रद्धालु आकर्षण के लिए आते हैं, और इस वट वृक्ष की हर दिन पूजा होती है. पंडित गूजो झा ने यह भी बताया कि इस ऐतिहासिक स्थल पर जिले के दिवंगत पूर्व सांसद शरद यादव समेत कई नेता आए हैं.
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FIRST PUBLISHED : November 22, 2023, 20:34 IST