लौकी की बंपर पैदावार से बदली इस किसान की तकदीर, खास विधि से बन गई बात

अर्पित बड़कुल/दमोह:  जिले के लघु किसान पारंपरिक खेती की तुलना में अब ज्यादातर किसान नकदी फसलों की कर रहे हैं. जिसको लेकर अभाना, राजघाट, घानमेली और बांदकुपर में भी बड़े पैमाने पर हरी सब्जी की खेती हो रही है. खासकर लौकी, बरबटी, मेथी और भी अन्य मौसमी सब्जियों की खेती कर किसान अच्छी कमाई कर रहे हैं.

इसी कड़ी में राजघाट के रहने वाले किसान छोटू पटेल ने करीब 2 लाख रुपये की लागत से इस साल लौकी की खेती है, जिसमें बंपर पैदावार हुई. चार बार लौकी की तुड़ाई हो चुकी है. कभी-कभी विपरीत मौसम तथा बाजार में गिरावट के चलते नुकसान भी झेलना पड़ता है. हालांकि, इस बार लौकी की फसल ने इस किसान की तकदीर बदल दी.

मचान तकनीक का प्रयोग
छोटू पटेल ने बताया कि पुराने लोग झला बनाकर लौकी की खेती करते थे, जिस तकनीक में पैदावार तो नहीं बढ़ती थी, बल्कि नुकसान अधिक पंहुचता था. लेकिन जब से नई तकनीक आई है, जिससे साग-सब्जियों की खेती में आसानी हुई और पैदावार भी दोगुनी हुई है. इस तकनीक के जरिए किसान अलग तरीके से लौकी की खेती कर अच्छी कमाई कर सकता है. खास बात यह कि इस विधि से खेती करने में लागत काफी कम आती है. लौकी की मांग हमेशा बनी रहती है और बाजार में अच्छा भाव मिलता रहता है. जिस कारण अभाना, घानमेली, जबेरा, कलेहरा, बांदकुपर के किसान अधिक पैदावार लेकर लाभ कमा रहे हैं. यहां के किसानों ने मचान विधि से लौकी की खेती की है.

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