लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा कल से शुरू, छठव्रती 4 दिन क्या करें, क्या ना करें

गुलशन कश्यप, जमुई: सूर्योपासना का महापर्व छठ आगामी 17 नवंबर को नहाय-खाय के साथ शुरू हो जाएगा. पहले दिन खरना का प्रसाद बनेगा, जबकि इसके अगले दो दिनों तक भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया जाएगा तथा आखिरी दिन व्रती पारण करेंगे. इसके साथ हीं छठ का महापर्व समाप्त हो जाएगा. चार दिनों तक चलने वाले छठ महापर्व की अपनी एक अलग महानता है और व्रत के सभी अलग-अलग दिनों का महत्व काफी खास है. ज्योतिषाचार्य मनोहर आचार्य बताते हैं कि छठ व्रत के दौरान सभी दिनों का अपना एक अलग महत्व होता है. छठ का व्रत अलग-अलग रूप में और कठिन होता चला जाता है.

पहला दिन: छठ व्रत की शुरुआत नहाय-खाय के साथ होता है. कार्तिक शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि को छठ पर्व के पहले दिन नहाय खाय किया जाता है. जिसमें छठ व्रतियां किसी भी नदी, तालाब या अन्य किसी भी जलाशय में स्नान कर इसकी शुरुआत करती हैं. इसके पहले घर की साफ सफाई कर ली जाती है और नहाय-खाय के दिन अरवा चावल, चने की दाल और कद्दू की सब्जी का प्रसाद बनाया जाता है. जिसमें सेंधा नमक का इस्तेमाल किया जाता है. यह प्रसाद लोगों के बीच वितरित भी किया जाता है और यही से छठ पर्व की शुरुआत होती है.

दूसरा दिन: छठ पर्व के दूसरे दिन को खरना के रूप में जाना जाता है. हालांकि इसी दिन से छठ व्रती का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है. पहले सुबह से ही व्रती अन्न जल त्याग कर भगवान भास्कर की आराधना करने लगते हैं. शाम के वक्त अरवा चावल, दूध, गुड़, खीर इत्यादि का प्रसाद बनता है तथा भगवान भास्कर को चढ़ाने के बाद व्रती अल्प प्रसाद ग्रहण करती हैं. इस दिन निर्जला उपवास की शुरुआत हो जाती है.

तीसरा दिन: छठ पर्व का तीसरा दिन सबसे कठिन होता है. इस दिन छठ व्रतियों के निर्जला उपवास का दूसरा दिन प्रारंभ हो जाता है और इसी दिन छठ व्रती के द्वारा पूजा के दौरान इस्तेमाल में लाया जाने वाला ठेकुआ सहित अन्य प्रसाद भी बनाया जाता है. इसी दिन शाम के वक्त लोग छठ घाट जाते हैं और डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं.

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चौथा दिन: छठ पर्व का चौथा दिन कार्तिक मास शुक्ल पक्ष सप्तमी तिथि को होता है. इस दिन अहले सुबह भगवान भास्कर के उदीयमान स्वरूप को अर्घ्य दिया जाता है. सुबह के वक्त भी लोग छठ घाट पहुंचते हैं और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं. इसके बाद छठ व्रतियों के द्वारा पारण किया जाता है तथा छठ का व्रत खोल दिया जाता है. इसी के साथ छठ पर्व का समापन भी हो जाता है.

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