निर्वाचन आयुक्त अरुण गोयल ने 2024 के लोकसभा चुनाव कार्यक्रम की संभावित घोषणा से कुछ दिन पहले शनिवार को पद से इस्तीफा दे दिया। गोयल का कार्यकाल पांच दिसंबर 2027 तक था और अगले साल फरवरी में मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार के सेवानिवृत्त होने के बाद वह सीईसी का पदभार संभालते।
मुंबई। निर्वाचन आयुक्त अरुण गोयल के इस्तीफा देने के एक दिन बाद रविवार को शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के सांसद संजय राउत ने दावा किया कि भारत का निर्वाचन आयोग अब एक स्वायत्त संस्था नहीं है बल्कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की विस्तारित शाखा के रूप में काम करता है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के शरद पवार की अगुवाई वाली धड़े ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले गोयल का अचानक इस्तीफा देना संदिग्ध नजर आता है।
निर्वाचन आयुक्त अरुण गोयल ने 2024 के लोकसभा चुनाव कार्यक्रम की संभावित घोषणा से कुछ दिन पहले शनिवार को पद से इस्तीफा दे दिया। गोयल का कार्यकाल पांच दिसंबर 2027 तक था और अगले साल फरवरी में मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार के सेवानिवृत्त होने के बाद वह सीईसी का पदभार संभालते। राउत ने पत्रकारों से बातचीत में दावा किया, ‘‘भारत के निर्वाचन आयोग का अस्तित्व है या नहीं, इसका कोई मतलब नहीं है खासतौर से तब जब उसने 10वीं अनुसूची का पूरी तरह उल्लंघन करते हुए शिवसेना और राकांपा के विभाजन के मामलों में भाजपा के दबाव में आदेश दिए।’’ उन्होंने दावा किया, ‘‘भारत का निर्वाचन आयोग स्वायत्त प्रहरी नहीं है, जैसा वह टीएन शेषन के दौर में हुआ करता था। बल्कि यह अब भाजपा की विस्तारित शाखा के रूप में काम करता है।’’ वह निर्वाचन आयुक्त के पद से गोयल के इस्तीफे पर एक सवाल का जवाब दे रहे थे।
निर्वाचन आयुक्त के तौर पर अनूप पांडेय की सेवानिवृत्ति और अब एक महीने के भीतर गोयल के इस्तीफे से तीन सदस्यीय निर्वाचन आयोग में सीईसी राजीव कुमार अकेले रह गए हैं। राउत ने दावा किया कि भारत के निर्वाचन आयोग में भाजपा कार्यकर्ताओं को नियुक्त किया जाएगा। राकांपा (शरदचंद्र पवार) के राष्ट्रीय प्रवक्ता क्लाइड क्रेस्टो ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले निर्वाचन आयुक्त अरुण गोयल का इस्तीफा संदिग्ध दिखायी देता है। उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘क्या उन्होंने इसलिए इस्तीफा दे दिया क्योंकि उन्हें संदेह था कि चुनाव स्वतंत्र व निष्पक्ष तरीके से नहीं कराए जाएंगे? क्या उन्होंने इसके खिलाफ आवाज उठायी इसलिए उन्हें जाने के लिए कहा गया? सरकार को जवाब देना चाहिए।
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