लार की जांच से पता चलेगा मुंह में कैंसर है या नहीं

ऋषभ चौरसिया/लखनऊः चंडीगढ़ के सूक्ष्मजीव प्रौद्योगिकी संस्थान (Institute of Microbial Technology) और किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के वैज्ञानिकों ने एक शोध किया है. इसमें बताया गया है कि यदि किसी व्यक्ति के मुंह के अंदर लालिमा बढ़ रही हो, सफेदी आ रही हो या फिर मुंह खुलने में दिक्कत हो रही होतो उस व्यक्ति के लार की जांच करानी चाहिए. अगर लार में Streptococcus, Rothia और Capnocytophaga जैसे बैक्टीरिया अधिक मात्रा में पाये जाते हैं तो यह मुंह के कैंसर का शुरूआती चरण हो सकता है. इस शोध का विवरण ‘अमेरिकन सोसायटी फॉर माइक्रोबायोलॉजी’ के माइक्रोबायोलॉजी स्पेक्ट्रम जर्नल में प्रकाशित हो चुका है.

केजीएमयू के डॉ. सुधीर सिंह और डॉ. समीर गुप्ता और चंडीगढ़ के सीएसआईआर- इंस्टीटूट ऑफ माइक्रोबायोलॉजी टेक्नोलॉजी के डॉ. रश्मि कुमार और डॉ. राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने एक शोध किया. इसमें 95 मरीजों के मुंह और जीभ के कैंसर से पीड़ित होने पर बैक्टीरिया की ग्रोथ की जांच की गई.इस शोध में 48 से 60 वर्ष की आयुवर्ग के लोगों को शामिल किया गया था.

बैक्टीरिया मुंह में अधिक मात्रा में पाए गए
इस शोध के अनुसार, Streptococcus, Rothia और Capnocytophaga जैसे बैक्टीरिया मुंह में अधिक मात्रा में पाए गए. केजीएमयू के रेडियोथेरेपी विभाग के प्रो.सुधीर सिंह ने बताया कि इस शोध से माइक्रोबियल बायोमार्कर की सहायता से मुंह के कैंसर को प्रारंभिक चरण में ही पहचाना जा सकेगा. यह शोध मुंह के कैंसर के नए उपचार की संभावनाओं को बढ़ा सकता है.

ऐसे लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए
केजीएमयू के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के प्रो. समीर गुप्ता ने बताया कि यह शोध का शुरुआती चरण है अभी और अधिक मरीजों पर शोध करने की जरूरत है. खासकर तंबाकू और मसाला खाने वाले लोगों पर. जांच में यदि उन लोगों के मुंह के अंदर Streptococcus, Rothia और Capnocytophaga बैक्टीरिया की अधिकता पाई जाती है तो उन्हें कैंसर होने की संभावना होती है. ऐसे लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए और डॉक्टर के अनुसार अपना इलाज शुरू करना चाहिए.

कैंसर की जांच और उपचार में नई उम्मीद
नई तकनीक और आधुनिक विज्ञान के साथ कैंसर की जांच और उपचार में नई उम्मीद की किरणें उजागर हो रही हैं. हमारे मुंह में माइक्रो ऑर्गेनिज्म का एक बड़ा समूह सामान्य रूप से रहता है. कैंसर की बीमारी में यह (माइक्रो ऑर्गेनिज्म) बदल सकता है. इसी को ध्यान में रखते हुए कैंसर की प्राथमिक और वृहद स्थिति में माइक्रो ऑर्गेनिज्म का अध्ययन किया गया. इसके प्रारंभिक जांच में Streptococcus और Rothia बैक्टीरिया की अधिकता उन मरीजों में पाई गई, जो मुंह के कैंसर के लक्षणों से पीड़ित थे.

समय रहते बीमारी की पहचान से इलाज शुरू हो सकता है
अध्ययन में यह भी खोजा गया कि कैंसर की बढ़ती संभावना के साथ साथ Capnocytophaga जैसे बैक्टीरिया की अधिकता भी बढ़ गई. इससे पता चलता है कि इन बैक्टीरिया के मौजूदा प्रमाण एक आरंभिक कैंसर के संकेत दे सकते हैं. यह शोध मुंह के कैंसर के मरीजों के लिए नई आशा का स्रोत हो सकता है. समय रहते बीमारी की पहचान से इलाज शुरू हो सकता है और मरीजों को होने वाले स्वास्थ्य नुकसान से बचाया भी जा सकता है.

Tags: Local18, Lucknow news

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