लाखों की नौकरी को मारी लात, लगाया खुद का कारखाना, कमाई सुनकर उड़ जाएगे होश

राजकुमार सिंह/वैशाली: केला खाने में जितना स्वादिष्ट होता है, उतना ही स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि जिस केले के पौधे को हम बेकार समझकर फेंक देते हैं, उससे लाखों कमाए जा सकते हैं? हाजीपुर में एमबीए पास तीन दोस्तों ने यह कर दिखाया है. उन्होंने केले के पौधे से ना सिर्फ दर्जनों सामान, खाद, वर्मी कम्पोस्ट बनाया है, बल्कि लाखों रुपये भी कमाए हैं. उन्होंने एक कारखाना बनाया है. जहां वर्मी कम्पोस्ट से लेकर योगा मैट, टी कोस्टर और नेचुरल फर्टिलाइजर तक बनाया जा रहा है.

बता दें कि ये कारखाना हाजीपुर में है. इसका नाम तरुवर एग्रो इंडस्ट्री है. इसमें हैंडी क्राफ्ट के सामान सहित वर्मी कंपोस्ट बनाया जा रहा है. यहां बनने वाला फाइबर देश के कई राज्यों में सप्लाई किया जाता है. इस फैक्टरी को लगाने वाले जगत कल्याण ने लोकल 18 को बताया कि उनके साथ एमबीए करने वाले दो दोस्त भी काम कर रहे हैं. सत्यम और नीतीश ने विदेश में मिल रही अच्छी पैकेज की नौकरी को छोड़कर अपने राज्य और गांव में कुछ अलग करने के मकसद से वापस आ गए.तीनों ने मिलकर नवादा गांव में बनाना फाइबर की फैक्ट्री लगाई. जहां फिलहाल 25 लोग काम करते है और कंपनी का सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपए है.

कृषि विज्ञान केंद्र का मिला अहम सहयोग
जगत कल्याण ने लोकल 18 को बताया कि काफी रिसर्च और घूमने के बाद लगा कि जिस केले के थम को लोग वेस्टेज समझकर फेंक देते हैं, उससे बहुत कुछ बनाया जा सकता है. इसपर रिसर्च करने के बाद कृषि विज्ञान केंद्र गए. जहां अपने प्रोजेक्ट से कृषि वैज्ञानिकों को अवगत कराया. इसके बाद केवीके से भी काफी सहयोग मिला. जिसका नतीजा है कि बनाना फाइबर की यह कंपनी देश में केले का रेसा और उससे बने सामान के साथ-साथ खाद बनाने में अपनी पहचान स्थापित कर चुकी है. जगत कल्याण ने लोकल 18 को बताया कि पहले गांव-गांव घूम कर केला का थम इकट्ठा करना पड़ता था, लेकिन अब गांव के लोग खुद केला का थम देकर जाते हैं. बदले में उन्हें दूरी के हिसाब से भुगतान भी किया जाता है.

Tags: Farming, Farming in India, Local18

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