अमित कुमार/समस्तीपुर. औषधीय गुणों की वजह से हल्दी की अलग ही पहचान है. इसमें खास एंटीवायरल और एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं. इसी वजह से दूध में पीसी हल्दी मिलाकर पीने का प्रचलन चला आ रहा है. तो वहीं हल्दी आम लोगों के भोजन का भी अभिन्न हिस्सा है. इसी तरह हल्दी का प्रयोग सभी शुभ कार्यों में भी किया जाता है. शादी की रस्म हो या किसी अन्य फंक्शन हो हल्दी का उपयोग करते ही है. इसी वजह से हल्दी की डिमांड हमेशा बनी रहती है. अगर आप भी हल्दी की खेती करना चाहते हैं तो वैज्ञानिक की सलाह जान लीजिए. छप्पर फाड़ उपज होगी. अन्य हल्दी की अपेक्षा राजेंद्र सोनिया वैरायटी की हल्दी की उपज 2 गुण होने का दवा वैज्ञानिक डॉ.ए.के मिश्रा द्वारा किया गया है.
क्या कहते हैं वैज्ञानिक
केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा में लोकल 18 से खास बातचीत करते हुए वैज्ञानिक डॉक्टर एसके मिश्रा ने बताया कि बलुई, दोमट या हल्की दोमट मिट्टी के लिए राजेंद्र सोनिया वैरायटी की हल्दी काफी सूटेबल है. अगर किसान राजेंद्र सोनिया हल्दी का वैरायटी का खेती करते हैं तो आपकी खेत में छप्पड़फार उपज होगी. उन्होंने कहा कि किसानों को 50kg प्रति कट्टा के हिसाब से इसकी बुवाई करनी चाहिए. तैयार फसल 7 से 8 क्विंटल प्रति कट्टा के हिसाब से हो सकता है. रोपाई की दूरी 30× 20 सेमी, 5से 6 सेंटीमीटर गहराई में करें.
खेत में खाद उर्वरक का प्रयोग इस प्रकार करें
उन्होंने कहा कि गोबर का सड़ा खाद 300 क्विंटल पर हेक्टेयर की दर से बुवाई रोपाई से 20 से 30 दिन पहले खेत में मिला दें. नाइट्रोजन का प्रयोग 100 से 150 किलो और पोटाश 100 से 120 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें. नाइट्रोजनकी मात्रा को तीन बराबर भागों में बांट कर करें.
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FIRST PUBLISHED : March 17, 2024, 15:38 IST