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उनके साथ आए डॉ. सुभाष ने बताया कि यह तकनीक भी एक शिक्षा है, जिसे हर कोई कर सकता है. उन्होंने बताया कि 5 से 15 वर्ष के बच्चों का दिमाग फ्रेश होता है, इसलिए वे जल्द ही इसे सीखे जाते हैं. एक हफ्ते में वे इसे कर सकते हैं, लेकिन व्यस्क दिमाग पर दुनियादारी के बोझ सहित काम, क्रोध, मोह, माया सहित कई परतें चढ़ जाती हैं, इसलिए वे जल्दी इसे नहीं सीख पाते.