लकवा के बेहतर इलाज के लिए गाजियाबाद के न्यूरोलॉजिस्ट सम्मानित, हेल्दी ब्रेन के लिए दी टिप्स

विशाल झा/गाजियाबाद. खराब लाइफस्टाइल और बाहर के खाने की आदत के कारण युवा तेजी से गंभीर बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं. इन बीमारियों में लकवा यानी पैरालसिस और ब्रेन स्ट्रोक भी शामिल हो चुका है. आजकल युवाओं में भी ब्रेन स्ट्रोक और हार्ट अटैक सामान्य हो गया है. अगर मरीज को ब्रेन स्ट्रोक का अटैक आता है तो बिल्कुल भी समय नहीं बर्बाद करना चाहिए. उस विशेष कीमती समय में अगर मरीज का टीकाकरण हो जाए तो वो अपनी पुरानी जिंदगी जीने में काफी हद तक सफल रहेगा.

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के न्यूरो फिजिशियन डॉक्टर राकेश कुमार कई वर्षों से लकवा ग्रसित मरीजों का इलाज करते आ रहे है. उनकी इस मेहनत के लिए वर्ल्ड स्ट्रोक आर्गेनाइजेशन ने डायमंड स्टेटस का खिताब दिया है. डॉ राकेश कुमार ने बताया कि पूरे देश में जो डॉक्टर स्ट्रोक को ठीक रूप से मैनेज करते हैं उनको वर्ल्ड स्ट्रोक ऑर्गनाइजेशन के द्वारा यह खिताब दिया जाता है. किसी न्यूरोलॉजिस्ट को यह सम्मान मिलना उस डॉक्टर की पहचान बन जाती है.

अगर बात ब्रेन स्ट्रोक की करें, तो वर्तमान में यह युवाओं में भी काफी आम हो चला है. सिर्फ साढ़े चार घंटे तक लकवे का टीका लगाया जा सकता है. यह टीका थ्रोम्बोलाइसिसलाइसेस प्रक्रिया के अधीन लगाया जाता है.

बढ़ती स्ट्रोक अटैक का कारण ख़राब लाइफस्टाइल 

डॉ. राकेश कुमार ने बताया कि लाइफस्टाइल डिसऑर्डर होने से स्ट्रोक अब 30 साल से भी कम उम्र के युवाओं को अपना शिकार बना रहा है. कुछ लोग एक्स्ट्रा जिम कर लेते हैं इसके कारण गर्दन की नस डिस्टर्ब होती है. यह दिल से जुड़ी होती है और अंत में धीरे-धीरे नस ब्लॉक हो जाती है.

उन्होंने बताया कि अगर किसी पेशेंट को स्ट्रोक होता है तो हम फास्ट का फॉर्मूला अपनाते हैं. फेसिअल F : फेसिअल डेफिसिसी, A ऑल वीकनेस, S : स्पीच T : टाइमइन सभी पर गौर करते हुए स्ट्रोक या लकवे का मरीज देखा जाता है.

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