लकड़ी पर अजंता एलोरा की मूर्तियों के नजारें,हैरान कर देगी सदियों पुरानी वुड कला

रिपोर्ट- हिना आज़मी/ देहरादून. अपने बड़े-बड़े महलों में स्कल्पचर देखे होंगे. कई जगह ऐसी मूर्तियों बनाई जाती है जिन्हें एक बार देख लें उनसे नजर नहीं हटती है. आपने मिट्टी, पीओपी और पत्थर से बनी मूर्तियां देखी होंगी लेकिन आज हम आपको वुड कार्विंग और उस विधि से बनाई गई मूर्तियों के बारे में बता रहे हैं जो लकड़ी से भले ही बनाई जाती है लेकिन 100 सालों तक चलती है यानी इनकी चमक बरकरार रहती है. हम आपको बताएंगे आंध्र प्रदेश के स्वामी के बारे में जो देहरादून के लोगों को अपनी इस बेहतरीन शिल्प कला वुड कार्विंग से लुभाने के काम कर रहें हैं.उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के ओएनजीसी में आयोजित होने वाले विरासत महोत्सव में देश के अलग-अलग राज्यों से अपनी कलाओं को लेकर लोग पहुंच रहे हैं.आंध्रप्रदेश के रहने वाले स्वामी भी अपनी हस्तशिल्प कला वुड कार्विंग से बनी चीजों को लेकर विरासत महोत्सव में शामिल हुए हैं जो बेहद काबिल- ए-तारीफ हैं.

लोकल 18 से बातचीत करते हुए हस्तशिल्प कलाकार स्वामी ने कहा कि उन्हें यह कला उनके पिता से विरासत में मिली है. जब वह 8 साल के थे तब से वह वुड कार्विंग यानी लकड़ी से मूर्तियों को बनाने का काम कर रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि इस काम में बहुत मेहनत लगती है क्योंकि इसमें मशीनों का इस्तेमाल नहीं किया जाता बल्कि ये हाथ से ही बनाए जाते हैं. स्वामी बताते हैं कि इसमें काफी टाइम भी लग जाता है क्योंकि पहले लकड़ी को काटा जाता है फिर एक साल तक सुखाया जाता है. हाथ से ही इन्हें ड्राइंग की जाती है और और फिर उसकी कटिंग करते हुए तराशा जाता है तब जाकर ये खूबसूरत मूर्तियां तैयार होती हैं.

विलुप्त होती जा रही इस कला को जिंदा रख रहे हैं स्वामी
स्वामी  आगे बताते हैं कि यह कई सौ साल पुरानी कला है जो धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही है लेकिन वह अपने इस पुश्तैनी काम को आगे बढ़ना चाहते हैं यही वजह है कि उन्होंने अपने बेटे को भी यही काम सिखाया है ताकि उनकी विरासत में मिली यह कल हमेशा जिंदा रहे और लोग इससे जुड़े इसीलिए वह देश और विदेशों में आयोजित होने वाली प्रदर्शनियों में भाग दे लेते हैं. वैसे तो लकड़ी के सामानों में दीमक और कई तरह के कीड़े लग जाते हैं लेकिन वह इन चीज़ों को नीम की लड़कियों से तैयार करते हैं ताकि यह सौ साल तक भी चल सकें. उन्होंने बताया कि चमक के लिए इस पर वार्निश किया जाता है.

दुनियाभर में मशहूर है ऐतिहासिक कला वुड कार्विंग
लकड़ी पर नक्काशी की बात की जाए तो चीन, जापान, अफ्रीका में इसके बेहतरीन उदाहरण हैं. वहीं इंग्लैंड में 16वीं और17वीं सदी के दौर में ओक की लकड़ी से बने फर्नीचर से लेकर मूर्तियों का काफी चलन था. दुनिया की सबसे पुरानी लकड़ी पर नक्काशी कर बनी मूर्ति की बात करें तो मिडिल स्टोन एज यानी 12 हजार साल पहले बनी शिगिर मूर्ति है जो रूस के येकातेरिनबर्ग के म्यूजियम में स्थित है जिसकी ऊंचाई लगभग 5 मीटर है.

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FIRST PUBLISHED : November 7, 2023, 24:28 IST

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