लंबे समय तक नहीं सड़ता है प्रभेद का केला, पत्ते भी बेचकर किसान हो जाते हैं मालामाल

राजकुमार सिंह, वैशाली. हाजीपुर जिले को केले कि खेती के लिए जाना जाता है. हाजीपुर का केला पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है, लेकिन कम ही लोगों को पता है कि हाजीपुर में सबसे अधिक के प्रभेद केले की खेती होती है. दरअसल, जिले के अधिकांश हिस्से में जिस प्रभेद के केले की खेती सर्वाधिक होती है, उसका नाम अल्पान है. इस प्रभेद के केले की खेती जिले में 3000 हेक्टेयर से अधिक जमीन पर की जाती है. हालांकि अधिकांश लोग हाजीपुर के इस प्रभेद को चिनिया केला समझ कर खरीद लेते हैं. क्योंकि बेचने वाले इसे चिनिया केला बताकर 25 से 30 रुपये दर्जन की दर से बेचते हैं.

ज्यादा दिन तक कर सकते हैं इस्तेमाल
जिले के गोरौल प्रखंड में स्थापित केला अनुसंधान केंद्र के प्रभारी पदाधिकारी शशिकांत ठाकुर ने बताया कि केले के अल्पान प्रभेद में कई खासियत है. उन्होंने बताया कि अल्पान केला अन्य केले की तुलना में पकने के बाद भी अधिक दिन तक ठीक रहता है. यह सड़ता या खराब नहीं होता है. केला अनुसंधान केंद्र में भी इस प्रभेद को लगाया गया है. यहां से किसान 15 रुपए की दर से अल्पान प्रभेद का पौधा ले जाकर खेती कर सकते हैं.

केले के साथ पत्ते का भी होता है इस्तेमाल
प्रभारी पदाधिकारी शशिकांत ठाकुर ने बताया कि अल्पान प्रभेद का पौधा सामान्य केले की तुलना में लंबा होता है. इसकी खेती दक्षिण भारत में ज्यादा होती है. वे बताते हैं कि इस प्रभेद का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप केले के साथ-साथ इसके पत्ते का भी आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं. लंबे समय तक खराब नहीं होने वाले अल्पान केले की खेती वैशाली में समस्तीपुर जिले की सीमा तक की जाती है.

ऐसे में अगर आपको केला खाना पसंद है और अभी तक अपने अल्पान केले का स्वाद नहीं लिया है, तो इस खास किस्म के केले को एक बार जरूर खाकर देखें. साथ ही अगर आप इसकी खेती करना चाहते हैं, तो केला अनुसंधान केंद्र में यह सहज तरीके से किसानों के लिए उपलब्ध है.

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