रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच विदेश मंत्री मॉस्को क्यों गए? 61 साल पहले किसने किया था इनवाइट

विदेश मंत्री एस जयशंकर 5 दिवसीय यात्रा पर रूस की राजधानी मॉस्को पहुंच गए हैं. उन्होंने सोमवार को कहा कि वह अपनी यात्रा में रूसी नेताओं के साथ अपनी बैठकों को लेकर आशान्वित हैं. जयशंकर, अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव के साथ बातचीत करेंगे और विभिन्न द्विपक्षीय तथा वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करेंगे.

जयशंकर ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘मॉस्को पहुंच गया हूं. अपनी बातचीत को लेकर आशान्वित हूं.’’ जयशंकर रूस के उप प्रधानमंत्री तथा उद्योग और व्यापार मंत्री डेनिस मांतुरोव से मुलाकात करेंगे और आर्थिक साझेदारी से जुड़े मामलों पर उनसे चर्चा करेंगे. वह द्विपक्षीय, बहुपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर बातचीत के लिए रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ भी वार्ता करेंगे.

1962 का निमंत्रण पत्र साझा किया
विदेश मंत्री जयशंकर ने एक अन्य पोस्ट में 1962 में उन्हें बचपन में मिले एक निमंत्रण पत्र को साझा किया, जो सोवियत संघ के अंतरिक्ष यात्रियों के एक अभियान का जश्न मनाने के लिए भेजा गया था.

विदेश मंत्रालय ने रविवार को नयी दिल्ली में कहा, ‘‘समय के साथ परखी गई भारत-रूस साझेदारी स्थिर और लचीली बनी हुई है और विशेष तथा विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी की भावना से रेखांकित है. मंत्रालय ने कहा, ‘‘हमारे दोनों देशों के लोगों के बीच मजबूत संबंध और सांस्कृतिक साझेदारियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, विदेश मंत्री के कार्यक्रम में मॉस्को और सेंट पीटर्सबर्ग में वार्ताएं भी शामिल होंगी.’’

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विदेश मंत्री ने 1962 का आमंत्रण पत्र भी साझा किया है.

दोनों पक्ष विशेष रूप से व्यापार, ऊर्जा, रक्षा और संपर्क के क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों के अनेक पहलुओं पर चर्चा कर सकते हैं. यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बावजूद भारत और रूस के बीच संबंध मजबूत बने रहे हैं. भारत द्वारा रूसी कच्चे तेल का आयात काफी बढ़ गया है, जबकि कई पश्चिमी देशों में इसे लेकर बेचैनी है.

भारत ने अभी तक यूक्रेन पर रूस के हमले की निंदा नहीं की है और वह कहता रहा है कि कूटनीति और संवाद से संकट का समाधान किया जाना चाहिए.

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