रीवा में 17वीं शताब्दी का अखाड़ा, आज भी यहां कुश्ती सीखते हैं पहलवान

आशुतोष तिवारी/रीवा: जिले में आज भी एक ऐसा अखाड़ा है जहां देसी पहलवानों का दंगल होता है. यहां पहलवान कुश्ती लड़ते हैं. इस अखाड़े को रीवा के राजा अवधूत सिंह ने बनवाया था. सत्रहवीं शताब्दी में बनाए गए इस अखाड़े में आज भी पहलवानी की जाती है. पहलवान मुगदार भांजते हैं और कसरत करते हैं.

देवी घाट के पास अखाड़ा
रीवा किला के समीप स्थित इस अखाड़े का नाम देवी घाट अखाड़ा है. यह अखाड़ा नदी घाट के किनारे है. पहलवान सुबह-सुबह इस अखाड़े में पहुंच जाते हैं. इतिहासकार असद खान ने बताया कि इस अखाड़े का निर्माण 17वीं शताब्दी में रीवा नरेश अवधूत सिंह के द्वारा कराया गया था. अवधूत सिंह को अखाड़े का शौक था. वह खुद पहलवानी किया करते थे. उन्होंने रीवा में दो अखाड़े का निर्माण कराया था. वह खुद इस अखाड़े में कुश्ती किया करते थे.

सेहत के लिए फायदेमंद है अखाड़ा
अखाड़ों में व्यायाम से शरीर के लिए बेहद फायदेमंद है. इससे शरीर के नुकसान नहीं होता है. वहीं, अखाड़ों में कम सुविधा वाले उपकरणों से व्यायाम ज्यादा किया जाता है. एक तरह से आप अखाड़े को देसी जिम कह सकते हैं. अखाड़े में डंबल उठाना, मुदगल घुमाना, अखाड़ों की मिट्टी समतल करना, बैठक और दंड बैठक लगाना जैसे कई व्यायाम है जिससे शरीर को कोई नुकसान नहीं होता. इसके अलावा शरीर ज्यादा ताकतवर होता है और लचीलापन भी ज्यादा होता है.

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FIRST PUBLISHED : November 1, 2023, 17:22 IST

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