रासायनिक खाद बनी युवाओं की मौत की वजह…तो किसान ने बदला खेती का तरीका! बन गया मिसाल

सिमरनजीत सिंह/शाहजहांपुर :गांव में असमय हो रही मौतों का दर्द जब सहन नहीं हुआ तो बीएड पास युवा ने अचानक से हो रही मौतों की वजह जानने की कोशिश की तो पता चला कि फसलों में अत्यधिक मात्रा में इस्तेमाल हो रही रासायनिक खादों की वजह से गांव-देहात के युवा अचानक काल के गाल में समा रहे हैं. इसके बाद इस युवा ने जैविक खेती करना शुरू किया और आज जैविक खेती से गुणवत्तापूर्ण फसलें पैदा कर अच्छी कमाई कर रहा है.

शाहजहांपुर के निगोही क्षेत्र के नवीपुर गांव का रहने वाला बीएड पास युवा किसान ज्ञानेश तिवारी अपने 5 एकड़ खेत में जैविक तरीके से गेहूं, गन्ना, सरसों और सब्जियों की खेती करते है. ज्ञानेश तिवारी ने बताया कि उनके गांव में अचानक से कई युवाओं की मौत हो गई. मौत के बाद पता चला है कि यह सभी युवा कुछ दिन पहले स्वस्थ थे. अचानक से उनके शरीर के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया. युवाओं की मौत के बाद पता चला कि फसलों में अधिक मात्रा में इस्तेमाल हो रहे रासायनिक खादों और कीटनाशकों की वजह से युवाओं की मौत हो रही है. इसके बाद ज्ञानेश तिवारी ने खुद जैविक खेती करना शुरू किया. साथ ही अब आसपास के किसानों को भी जैविक खेती के बारे में प्रशिक्षित कर रहे हैं.

शुरुआती दिनों में आई ये समस्या
गणेश तिवारी ने बताया कि आज तक करीब 4 साल पहले उन्होंने अपने 5 एकड़ खेत में जैविक खेती शुरू की थी. वह रासायनिक खादों और कीटनाशकों का इस्तेमाल करने की जगह वर्मी कम्पोस्ट और वर्मी वॉश का इस्तेमाल करते हैं. शुरुआती दिनों में कुछ उत्पादन कम हुआ था लेकिन अब लगातार उत्पादन में सुधार हो रहा है.

जैविक खेती के लाभ
ज्ञानेश तिवारी जैविक तरीके से बैंगन, भिंडी, लौकी, आलू, गेहूं, गन्ना और सरसों उगा रहे हैं. जैविक तरीके से तैयार की हुई सब्जियों का स्वाद और गुणवत्ता बेहतर होती है. ज्ञानेश तिवारी का कहना है कि जैविक खेती करने से मृदा स्वास्थ्य में सुधार, मिट्टी की जल धारण क्षमता में बढ़ोतरी और मित्र कीटों का भी बचाव हो रहा है. साथ ही ऑर्गेनिक कार्बन में भी इजाफा हुआ है.

किसानों को जैविक खेती के लिए करते हैं प्रेरित
ज्ञानेश तिवारी अपने खेतों में जैविक तरीके से फसलें उगाने के साथ-साथ अपने पास पड़ोस के किसानों को भी जैविक खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं. ज्ञानेश तिवारी किसानों को अपने फार्म हाउस पर बुलाकर जैविक खेती करने के लिए निशुल्क प्रशिक्षण देते हैं. साथ-साथ वह वर्मी कंपोस्ट तैयार किसानों को देते हैं.

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