राम मंदिर के ध्वज में अंकित हो रहा ये वृक्ष, जानें इसका भगवान राम से संबंध

आशुतोष तिवारी/रीवा. सनातन धर्म प्रेमियों को भगवान श्री राम के भव्य मंदिर के लोकार्पण का बेसब्री से इंतजार है. पूरे भारत देश से राम मंदिर के लिए कुछ न कुछ किया जा रहा है. मध्यप्रदेश के रीवा से भी रामलला के मंदिर में ध्वज लगाने के लिए सैकड़ों ध्वज भेजें जा रहे हैं. लगाए जाने वाले ध्वज की डिजाइन में राम मंदिर के ध्वज पर सूर्य और कोविदार के पेड़ को भी अंकित किया गया है. इस ध्वज की डिजाइन को रीवा जिले के हरदुआ गांव के निवासी ललित मिश्रा तैयार करवा किया है.

ललित मिश्रा वर्षों से राम मंदिर का ध्वज तैयार करने में जुटे हुए थे. इसके लिए बाकायदा उनके द्वारा रिसर्च की जा रही थी. इससे पहले भी सप्ताह भर पहले उन्होंने श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय को ध्वज की तैयार डिजाइन भेजी थी. जिस ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय और 5 सदस्यीय कमेटी के द्वारा ध्वज पर विचार किया गया था. साथ ही ध्वज में बदलाव के लिए कुछ सुझाव भी दिए गए थे. उन्ही सुझाव के आधार पर अब नई डिजाइन तैयार की गई है. अब नई डिजाइन कमेटी के समक्ष पेश की जाएगी.

श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में रीवा से भेजे जाएंगे 100 ध्वज
ललित मिश्र ने बताया कि श्री राम जन्म भूमि ट्रस्ट के प्रमुख चंपतराय जी को हमने पहले जिस ध्वज की डिजाइन पेश की थी उसमें कुछ परिवर्तन करने का सुझाव दिया गया था. जिन पर संसोधन करके हम बहुत जल्द नई डिजाइन हमने तैयार कर ली है. अब नई डिजाइन उनके समक्ष जल्द पेश करने वाले हैं. दरअसल भगवान राम सूर्यवंशी थे सूर्यवंश का प्रतीक सूरज है. इसलिए सूर्य को ध्वज में अंकित करने का सुझाव दिया गया था. साथ ही कोविदार के पेड़ को भी ध्वज में स्थान दिया गया है.

उन्होंने बताया कि कोविदार का वृक्ष अयोध्या के राज ध्वज में अंकित हुआ करता था. एक तरह से कोविदार का वृक्ष अयोध्या का राज वृक्ष हुआ करता था जैसे कि वर्तमान में राष्ट्रीय वृक्ष बरगद है. समय के साथ कोविदार वृक्ष को लेकर की जानकारी कम होती गई. बताया गया कि जो लोग कोविदार को ही कचनार का पेड़ मानते हैं. उनकी धारणा गलत है. रीवा से हमने 100 की संख्या में ध्वज देने का प्रस्ताव किया है जिसे ट्रस्ट की ओर से सहमति दी गई है.

कोविदार वृक्ष का पुराणों में भी जिक्र
ललित मिश्रा ने बताया कि समय के साथ कोविदार वृक्ष की संख्या कम होती गई. लेकिन ये बेहद महत्वपूर्ण वृक्ष हुआ करता था. इस वृक्ष का जिक्र पुराणों में भी है, जो लोग कोविदार को ही कचनार का पेड़ मानते हैं, उनकी धारणा गलत है.पौ राणिक मान्यता के अनुसार ऋषि कश्यप ने इस पेड़ को बनाया था. इसका जिक्र हरिवंश पुराण में मिलता है. यह पेड़ पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए बेहद उपयोगी माना जाता था. यही वजह है कि कोविदार अयोध्या में राजकीय वृक्ष हुआ करता था.

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