हाइलाइट्स
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में 22 जनवरी को होगी प्राण प्रतिष्ठा.
समस्तीपुर से राम मंदिर आंदोलन का है बेहद गहरा नाता.
लालकृष्ण आडवाणी की सर्किट हाउस से हुई थी गिरफ्तारी.
समस्तीपुर. मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के जन्मस्थली अयोध्या में भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है और 22 जनवरी को उसे मंदिर में मर्यादा पुरुषोत्तम की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. 500 वर्षों की लंबे संघर्ष के बाद आज संपूर्ण भारतवासी के सामने उनका जो सपना था वह सरकार होता दिख रहा है. राम जन्मभूमि आंदोलन और समस्तीपुर का भी एक अलग इतिहास है. समस्तीपुर का नाम जब आता है तो लाल कृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा की तस्वीर सबके आंखों के सामने से गुजरने लगती है.
वर्ष 1990 की भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी के द्वारा श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण के संकल्प को लेकर गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या तक के लिए रथ यात्रा 25 सितंबर 1990 को शुरू की गई थी. इस रथयात्रा को 30 अक्टूबर को अयोध्या पहुंचना था. लालकृष्ण आडवाणी वहां कार सेवा में शामिल होने वाले थे. देश के अलग-अलग भागों से होते हुए यह रथ यात्रा बिहार में गया से शुरू हुई, जो बिहार के अलग-अलग जिले से होते हुए 22 अक्टूबर 1990 की देर शाम समस्तीपुर पहुंची.
23 अक्टूबर 1990 को समस्तीपुर के ऐतिहासिक पटेल मैदान में लालकृष्ण आडवाणी के द्वारा एक विशाल जनसभा को संबोधित किया जाना था. इसको लेकर भारतीय जनता पार्टी, आरएसएस, विद्यार्थी परिषद सहित संघ के तमाम अनुसांगिक संगठनों के द्वारा जबरदस्त तैयारी की गयी थी. यह रथ यात्रा जब हाजीपुर के बाद समस्तीपुर के सीमा में कोठिया के पास पहुंची. वहीं से जय श्री राम, के नारों के साथ लगातार कार्यकर्ताओं के हुजूम के साथ आगे बढ़ता रहा. हर चौक चौराहों पर लोग पुष्पवर्षा करते और रथ की आरती उतरते थे.
22 अक्टूबर 1990 को देर शाम समस्तीपुर के सर्किट हाउस रथ पहुंची. रात्रि विश्राम यहीं करना था. इसके बाद फिर अगले सुबह पटेल मैदान में जनसभा को सम्बोधित करते हुए यात्रा आगे बढ़ती. लालकृष्ण आडवाणी सर्किट हाउस के कमरा नंबर सात में रुके थे. उनके साथ डॉ कैलाशपति मिश्रा भी सर्किट हाउस में ही दूसरे कमरे में रुके थे. पूरा समस्तीपुर शहर हाई अलर्ट पर था. चप्पे चप्पे पर पुलिस बलों की तैनाती की गयी थी. लालकृष्ण आडवाणी जब विश्राम करने चले गए तो सभी प्रमुख कार्यकर्त्ता भी वहा से कर्यक्रम की तैयारी में चले गए.
श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े समस्तीपुर भाजपा के चन्द्रकांत चौधरी और संघ के लोग उस दिन को याद करते हुए कहते हैं कि लालकृष्ण आडवाणी के रथ यात्रा के पहुंचने पर जनसैलाब उमड़ पड़ा था. जगह-जगह सड़क के दोनों किनारे लोग स्वागत में खड़े थे. वो बताते हैं कि जब रथ यात्रा समस्तीपुर के कोठिया में प्रवेश किया था तो उसी वक्त गिरफ्तारी करने की योजना थी. लेकिन, जन सैलाब को देखते हुए वहां गिरफ्तारी नही हो पायी. रात्रि 11 बजे वह सर्किट हाउस पहुंचे और 23 अक्टूबर की सुबह सभा होने वाली थी.
अहले सुबह पटेल मैदान में हेलीकाप्टर पहुंचा. जिसके बाद लालकृष्ण आडवाणी की गिरफ्तारी सर्किट हाउस पहुंचकर की गयी. इसके बाद वहां मौजूद कार्यकर्त्ताओं के द्वारा प्रदर्शन शुरू हो गया. आडवाणी जी को गिरफ्तार कर जिस गाड़ी से ले जाया जा रहा था उसके सामने आकर भजपा के स्वर्गीय भग्य नारायण राय स्व. गंगोत्री प्रसाद एवं अन्य कार्यकर्ताओं के द्वारा रोकने का प्रयास भी किया गया. इसके बाद पुलिस के द्वारा लाठीचार्ज कर सभी को हटा दिया गया.
बताया जाता है कि जैसे ही लालकृष्ण आडवाणी की गिरफ्तारी की खबर फैली पूरा बाजार से लेकर रेलवे तक को बंद करा दिया गया. लेकिन, उस समय भजपा के राष्ट्री उपाध्यक्ष डॉ कैलाशपति मिश्र के समझाने के बाद सब कुछ सामान्य हुआ. बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने लालकृष्ण आडवाणी की गिरफ्तारी केलिए पुलिस मुख्यालय मैं तैनात तत्कालीन डीआईजी रामेश्वर उरांव, आईएसएस अधिकारी आरके सिंह को भेजा गया था जिन्होंने सर्किट हाउस के कमरा नंबर 7 में पहुंच कर गिरफ्तारी की जानकारी दी थी.
समस्तीपुर के सर्किट हाउस के कमरा नंबर 7 से आडवाणी जी की गिफ्तारी होने की खबर जंगल मे आग की तरह फैल गयी. लालकृष्ण आडवाणी के रथ यात्रा को कवर करने के लिए देश विदेश के कई बड़े पत्रकार भी पहुंचे थे. सभी आडवाणी की जनसभा को कवर करने की तैयारी कर रहे थे. इसी बीच गिरफ्तारी की खबर ने बस की राह सर्किट हाउस की तरफ मोड़ दिया. जब तक कोई पत्रकार मौके पर पहुंचते तब तक आडवाणीजी को लेकर लालू प्रसाद यादव के द्वारा भेजी गई टीम गिरफ्तार कर पटेल मैदान पहुंचने वाली थी.
उस समय के हालात पर समस्तीपुर के फोटो जर्नलिस्ट गिरीन्द्र मोहन बताते हैं कि वह अपने स्कूटर से पटेल मैदान के पास पहुंच रहे थे, तो देखा कि एक कला रंग के एम्बेसडर कार में आडवाणी जी को ले जाया जा रहा था. चारों तरफ जय श्रीराम और लालकृष्ण आडवाणी की जय के नारे लग रहे थे, पुलिस किसी को आगे नहीं जाने दे रही थी. किसी तरह वह सर्किट हाउस के पस पहुंचे जिसके बाद वह सर्किट हाउस के भीतर जाने की कोशिश की, लेकिन उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया. फिर सर्किट हाउस के दूसरे छोर पर जाकर अपने कैमरे में तस्वीर कैद करना शुरू किया. लेकिन, पुलिसकर्मियों के द्वारा रोक दिया गया कैमरा छीनने का प्रयास किया गया. उनके द्वारा रथ की एक मात्र तस्वीर कैमरे में कैद किया गया. आज भी उस तस्वीर को वह संभाल कर रखे हुए है.
श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े एक और शख्स समस्तीपुर में है जो रोसरा अनुमंडल क्षेत्र के बिरहा गांव के रहने वाले हैं डॉ रामविलास राय. आठ लोगों को साथ लेकर कर सेवा के लिए अयोध्या के लिए यह निकले थे. फिर क्या-क्या हुआ इसके बारे में डॉ रामविलास राय बताते हैं,1989 में कामेश्वर चौपाल के द्वारा जब राम मंदिर शिलान्यास किया गया था. मौके पर वह वहां पर मौजूद थे और वह सपना अब पूरी तरह से साकार हो गया. जब बाबरी ढांचे को ध्वस्त किया गया था तो उसे वक्त आठ लोगों की टीम अयोध्या के लिए रोसरा से निकली थी. रास्ते में कर सेवकों की गिरफ्तारी करने के लिए सख्त पहरा था. गोरखपुर में उनकी गिरफ्तार कर आजमगढ़ ले जाया गया और वे 8 दिन जेल में रहे.
डॉ रामविलास राय कहते हैं जब वह जेल पहुंचे तो वहां के लोगों के जन सहयोग देखकर दंग रह गए. स्थानीय लोगों के द्वारा उनकी मदद और खाने-पीने के समान पर्याप्त मात्रा में जेल में उपलब्ध कराया गया, जिसे देखकर जेलर भी आश्चर्यचकित हो गए. डॉ रामविलास राय कहते हैं जब वे जेल के आखिरी दो दिनों में थे तो वहां पर अष्टयाम रामधुन की शुरुआत की थी. इस अष्टयाम के समापन के दिन ढांचा ध्वस्त हो गया और अयोध्या में राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का जो सपना था आज वह साकार हो गया. राम मंदिर भारतीय सांस्कृतिक इतिहास का एक ऐसा दीपक साबित होगा जो समता का दीपक होगा और वह संपूर्ण भारतवर्ष के लिए वैभव का दीपक होगा.
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Tags: Ayodhya ram mandir, Bihar News, Samastipur news
FIRST PUBLISHED : January 9, 2024, 17:48 IST