राम मंदिर आंदोलनः 17 साल की उम्र में गए थे जेल, अब राम मंदिर बनने की खुशी

करनाल. कारसेवकों ने जिस मंशा से राम मंदिर आंदोलन में हिस्सा लिया था. वह दिन आने वाला है. 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है. ऐसे में हर जगह लोग में उत्साह और जोश देखने को मिल रहा है.

हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे लोगों की कहानी, जो साक्षी हैं इस बात के कि आखिर 1990 और 1992 में राम मंदिर आंदोलन के दौरान क्या हुआ था. ये कार सेवक हैं, जो गए थे अपने अपने शहरों से अयोध्या में. कोई पढ़ाई करता था तो, कोई काम धंधा ढूंढ रहा था. लेकिन सबमें भगवान श्री राम को लेकर एक भावना थी. अयोध्या को लेकर जोश था. काफी लोग 1989 में कार सेवा में गए थे. साल 1990 में इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था और करीब 15 दिन तक अलीगढ़ जेल में रहे थे.

राजेश लंबा, डॉ मनोज विरमानी और संजय बत्रा बताते हैं, तब वहां कार सेवकों पर गोली भी चली और कई कार सेवकों की जान भी चली गई थी. वहां 15 दिन जेल में बिताने के बाद वह वहां से वापिस घर आए और उसके बाद अयोध्या जाकर वहां की जगह को देखा, जहां पर विवादित ढांचा था.

कारसेवकों ने सुनाई कहानी

साल आगे बढ़ा और जब 1992 दिसंबर का महीना आया. राजेश लंबा कहते हैं करीब 2 और 3 दिसंबर को करनाल से लखनऊ गए और वहां से कभी पैदल और किसी साधन से अयोध्या. वहां सरयू नदी पर स्नान किया और 6 दिसंबर के दिन उमा भारती, साध्वी रितंभरा, लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी कार सेवकों को संबोधित कर रहे थे तो पूरे देश से वहां पर कार सेवक आए हुए थे.

राम मंदिर आंदोलनः 17 साल की उम्र में गए थे जेल, अब राम मंदिर बनने की खुशी

करनाल में मंदिर में रखा क्लश

पूरा बवाल होने के बाद वहां पूरी रात रुके भी थे और उसी जगह पर सोए थे. इन कार सेवकों में काफी खुशी है कि राम मंदिर बन रहा है. क्योंकि कार सेवकों ने उसके लिए काफी संघर्ष किया है. उन्होंने बताया कि 22 जनवरी को करनाल में अलग अलग जगह भव्य कार्यक्रम होगा. करनाल के सनातन धर्म मंदिर अक्षत कलश को भी रखा गया है.

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