जनकपुरधाम में हिंदुओं ने फूलों से ‘‘जय सियाराम” लिखा. उन्होंने इस अवसर पर कई सांस्कृतिक एवं धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए.
भगवान राम की पत्नी सीता का एक अन्य नाम जानकी है, जो जनकपुर के राजा जनक की पुत्री थीं. जनकपुर अयोध्या से लगभग 500 किलोमीटर पूर्व में है और भारत एवं नेपाल के प्राचीन संबंधों का प्रतीक रहा है. स्थानीय प्राधिकारियों ने बताया कि जनकपुर के घरों और सड़कों को रंग-बिरंगी रोशनी, कागज के झंडों, बैनर और मालाओं से सजाया गया है. प्राण प्रतिष्ठा के शुभ अवसर का जश्न मनाने के लिए मिट्टी के लगभग 1.25 लाख दीपक जलाए गए.
टाइम्स स्कवायर पर एकत्रित हुआ भारतीय समुदाय
अमेरिका में न्यूयॉर्क के टाइम्स स्कवायर पर बड़ी संख्या में भारतीय समुदाय के सदस्य एकत्र हुए. उन्होंने अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह का सीधा प्रसारण देखा. लोगों को पारंपरिक पोशाक पहने, नृत्य करते, भजन और अन्य गीत गाते देखा गया. वाशिंगटन में वर्जीनिया के फेयरफैक्स काउंटी में स्थित एसवी लोटस टेम्पल में सिख, मुस्लिम और पाकिस्तानी-अमेरिकी समुदाय के सदस्य भी इस समारोह में शामिल हुए. रविवार को हुए कार्यक्रम में 2,500 से ज्यादा लोग शामिल हुए.
अमेरिकी शेयर बाजार ‘नैस्डैक’ की स्क्रीन पर भी राम मंदिर की तस्वीरें प्रदर्शित की गईं. लॉस एंजेलिस में इस अवसर का जश्न मनाने के लिए 1,000 लोगों ने एक कार रैली में भाग लिया. रैली में करीब 250 कारें शामिल हुईं.
मंदिर दर्शन के लिए ‘राम मदिर यात्रा’
अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह संपन्न होने के तुरंत बाद ‘विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ऑफ अमेरिका‘ और ‘विश्व हिंदू परिषद ऑफ कनाडा’ ने दोनों देशों में एक हजार से अधिक मंदिरों के दर्शन के लिए ‘राम मंदिर यात्रा’ की घोषणा की.
विहिप अमेरिका द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, यह यात्रा 25 मार्च को मैसाचुसेट्स के बिलेरिका में ओम हिंदू केंद्र से शुरू होगी, जिसमें श्री राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान की मूर्तियां एक सजे-धजे वाहन पर होंगी.
अमेरिका और कनाडा में होने वाली इस यात्रा को 45 दिनों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.
त्रिनिदाद और टोबैगो में भी राम मंदिर की धूम
अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की पूर्व संध्या पर त्रिनिदाद और टोबैगो में हजारों की संख्या में लोग एक कार्यक्रम में शामिल हुए जिनमें बड़ी संख्या भारतीय समुदाय के सदस्यों की थी. रविवार को आयोजित इस समारोह में 5,000 से अधिक लोग शामिल हुए. इस सांस्कृतिक कार्यक्रम में लोकप्रिय भजन एवं गीत भी गाए गए. त्रिनिदाद और टोबैगो की राम जन्मभूमि स्थापना समिति ने भारतीय प्रवासियों और सामुदायिक संगठनों के सहयोग से इस कार्यक्रम का आयोजन किया था. इस कार्यक्रम में 550 दीये भी जलाए गए.
त्रिनिदाद और टोबैगो में भारतीय उच्चायोग ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ”अयोध्या में श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की पूर्व संध्या पर त्रिनिदाद और टोबैगो में भारतीय प्रवासियों द्वारा आयोजित भव्य समारोह में भाग लेना सम्मान की बात है.”
मॉरीशस में हिंदू कर्मचारियों को मिली विशेष छुट्टी
मॉरीशस सरकार ने इस ऐतिहासिक अवसर पर देशभर में होने वाले धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए हिंदू धर्म मानने वाले कर्मचारियों को दो घंटे की विशेष छुट्टी दी.
मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘आइए श्री राम के अयोध्या लौटने पर खुशी मनाएं. उनका आशीर्वाद और शिक्षाएं, शांति व समृद्धि की दिशा में हमारा मार्ग प्रशस्त करती रहें. जय हिंद! जय मॉरीशस!’
मेक्सिको में पहले राम मंदिर की स्थापना
अयोध्या में ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह की पूर्व संध्या पर मेक्सिको के क्वेरेटारो शहर में भगवान राम के पहले मंदिर की स्थापना हुई. क्वेरेटारो में भगवान हनुमान का मंदिर पहले से है.
मेक्सिको में भारतीय दूतावास ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ”भारत से लाई गई मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा एक अमेरिकी पुजारी द्वारा की गयी. भारतीय प्रवासियों द्वारा गाए गए भजन और गीत से पूरा सभागार गूंज उठा.”
इस कार्यक्रम में भारतीय मूल के 250 से ज्यादा प्रवासी भारतीय शामिल हुए.
इसके अलावा, फिजी के सुवा में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद और फिजी की श्री सनातन धर्म प्रतिनिधि सभा ने 18 से 22 जनवरी तक रामलला उत्सव का आयोजन किया था.
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