राम का निराला धाम, यहां न पुजारी, न चढ़ावा और न प्रसाद… पर दर्शन के पहले मानना होगा एक नियम

राधिका कोडवानी/इंदौर: सिर्फ अयोध्या ही नहीं, देश में प्रभु राम के कई मंदिर हैं. ऐसा ही एक अनोखा मंदिर इंदौर में भी है. इसक नाम “अपने राम का एक निराला धाम” है. कहा जाता है कि यहां की सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी खुद यमराज देखते हैं, वहीं अध्यक्ष की जिम्मेदारी महाबली हनुमान ने उठा रखी है.

लेकिन, इस अनूठे मंदिर में आपको तभी भगवान राम के दर्शन करने की अनुमति मिलती है, जब आप एक शर्त पूरी कर देंगे. मंदिर प्रांगण में 121 फीट की विशाल हनुमान प्रतिमा है. मंदिर का वैभव इस तरह से है कि यहां रामायण के सभी पात्र नजर आते हैं. वहीं, पूरे मंदिर में राम-राम का नाम लिखा हुआ है.

तीन दर्जन मंदिर
श्रीराम के नाम से महकने वाले इस अनूठे निराला धाम मंदिर के आसपास लगभग 11 हजार वर्ग फीट के तीन दर्जन से अधिक मंदिर बने हैं, जिनकी नींव और दीवारों पर श्रीराम भक्तों द्वारा ‘जय श्री राम’ के नारे लिखे गए हैं. इतना ही नहीं, मंदिर के हर गुंबद, दीवार और कोने-कोने में लाल रंग से ‘जय श्रीराम’ लिखा गया है, जो श्रीराम के होने यहां विराजमान होने का एहसास करता है.

श्री राम मंदिर में एक ही नियम
हैरानी वाली बात यह है कि इस मंदिर न तो पुजारी है, न प्रसाद लगता है, न किसी तरह का चढ़ावा. बस मात्र एक शर्त पूरी करनी पड़ती है, जिसके बाद ही मंदिर में प्रवेश मिलता है. आपको मंदिर में जाने पर 108 बार ‘जय श्रीराम’ लिखना होगा, तभी आपको मंदिर में प्रवेश दिया जाएगा. ‘जय श्रीराम’ लिखने के लिए पत्र और पेन भक्तों को दी जाती है. वीआईपी से लेकर आम जनता सभी के लिए यही एक नियम है.

पुजारी नहीं, बन गया सेवक
वर्षों से जारी इस परंपरा को संभाल रहे प्रकाश चंद वागरेचा बताते हैं कि 1990 से मंदिर का निर्माण शुरू हुआ है, जो आज भी जारी है. यहां अब तक लाखों भक्त करोड़ों बार राम नाम लिख चुके हैं. रोजाना तकरीबन 200-300 श्रद्धालु आते हैं. त्योहारों के समय ज्यादा रौनक रहती है.

मंदिर के संचालक श्रीराम हैं और सचिव महादेव
आगे बताया, 1990 के पहले जब कनाडिया रोड पर आकर रहने लगा तो उस दौरान यहां न तो कोई धार्मिक स्थल था, न मंदिर था. नौकरी की, ऑटो चलाई, कई अच्छे-बुरे काम किए. एक दिन पिता की मृत्यु के दौरान उठावने के लिए मंदिर तलाशा, लेकिन नहीं मिला. तब भगवान की मूर्ति रखकर पूजा की. मगर, 43 की उम्र में न जाने क्या हुआ कि अंदर से आवाज आई कि भगवान का घर बनाया जाए. बस पहले शिव जी स्थापित किए, फिर हनुमान जी की दिखाई राह पर चलकर बन गया भगवान श्रीराम का निराला धाम मंदिर.

सिर्फ शनिवार, मंगलवार आरती
संचालक प्रकाश चंद्र ने बताया कि आज 79 वर्ष की उम्र हो गई. दो बार हनुमान जी की कृपा से बच गया तो इसे खुशनसीबी मानता हूं. बच्चे अपनी दुनिया में खुश हैं. हम पति-पत्नी यहां श्रीराम की सेवा में लगे हैं. हम पुजारी नहीं बल्कि सेवक हैं. केवल शनिवार और मंगलवार को आरती करते हैं, बाकी सब रामजी संभाल लेते हैं.

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