राम का अनोखा भक्त: मंदिर निर्माण के लिए राम ज्योति के माध्यम से लोगों को जागरूक करते थे “मस्ताना”

सिमरनजीत/सिंह शाहजहांपुर : आज राम मंदिर निर्माण का सपना तो पूरा हो गया लेकिन राम मंदिर निर्माण आंदोलन से जुड़े कई ऐसे नाम हैं जिन्होंने राम मंदिर आंदोलन की अलख जगाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया. उन्हीं में से एक नाम है शाहजहांपुर के स्वर्गीय भगवान दास मस्ताना का जो एक चर्चित शख्शियत थे. स्वर्गीय भगवान दास मस्ताना ने राम मंदिर आंदोलन से लोगों को जोड़ने के लिए राम ज्योति लेकर ग्रामीण इलाकों में प्रचार-प्रसार किया था.

आज उनका परिवार स्वर्गीय भगवान दास मस्ताना की राम मंदिर निर्माण में उनकी सक्रिय भूमिका को लेकर खुद पर गर्व महसूस कर रहा है. भगवान दास मस्ताना के बड़े बेटे प्रेम शंकर ने बताया कि उनके पिता भगवान दास मस्ताना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए सक्रिय सदस्य थे और राम मंदिर आंदोलन के दौरान भी उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई थी.

हजारों राम भक्तों को किया जागरूक
प्रेम शंकर गंगवार ने बताया कि राम मंदिर आंदोलन जब शबाब पर था. उस दौरान विश्व हिंदू परिषद ने एक राम ज्योति निकाल कर हजारों रामभक्तों को राम मंदिर आंदोलन से जोड़ने का काम किया. पवित्र राम ज्योति को कार्यक्रमों में रखा जाता था. प्रेम शंकर गंगवार ने बताया कि राम ज्योति सुंदर लालटेन की तरह दिखती थी. जिसमें एक दीपक जलता रहता था. इस दीपक को अयोध्या में रामलला की ज्योति के दीपक से ही जलाया गया था. उनके पिता भगवान दास मस्ताना राम ज्योति को लेकर शाहजहांपुर जिले के अलग-अलग गांव में जाकर लोगों में राम मंदिर निर्माण के प्रति अलख जगाने का काम करते थे. वो दिन-रात गांव-गांव जाकर लोगों से जागरूक किया करते थे.

अंगीठी में छिपानी पड़ी थी राम ज्योति
प्रेम शंकर गंगवार ने बताया कि जब राम ज्योति की जानकारी पुलिस को लगी तो पुलिस ने उनके खुदागंज स्थित किराए के घर पर रात में छापेमारी की. छापेमारी से कुछ मिनट पहले ही उनके पिता घर की छत से कूद कर वहां से निकल गए . जैसे ही पुलिस घर में दाखिल हुई उससे पहले उन्होंने राम ज्योति को सम्मान के साथ घर में रखी हुई लकड़ी जलाने वाली अंगीठी में छुपा दिया. राम ज्योति को छुपाने के लिए ऊपर से लकड़ी का मोटा बुरादा डालकर ढक दिया. काफी देर तक पुलिस घर के सभी कमरों और किचन में तलाशी लेती रही लेकिन पुलिस के हाथ राम ज्योति नहीं लग सकी.

साकार हो रहा पिता जी का सपना
प्रेम शंकर बताते हैं कि पुलिस के जाने के बाद पिताजी के साथ और स्वयंसेवक वहां पहुंचे और राम ज्योति को सम्मान के साथ वहां से लेकर आगे के लिए रवाना हो गए. प्रेम शंकर गंगवार और उनका पूरा परिवार आज राम मंदिर निर्माण को लेकर बेहद खुश है. उनका कहना है कि जो उनके पिता ने जो सपना देखा था वह आज साकार हो रहा है.

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