राजस्थान पेपर लीक केस की जांच क्यों बढ़ा रही है चयनित अभ्यर्थियों की धड़कनें?

जयपुर. राजस्थान में भजनलाल सरकार के आने के बाद पेपर लीक केस की जांच तेज हो गई है. जांच तेज होने के साथ ही पेपर लीक के आरोपियों के साथ ही विभिन्न भर्ती परीक्षा में चयनित अभ्यर्थियों की धरपकड़ भी काफी बढ़ गई हैं. जैसे-जैसे पेपर लीक केस में सरगनाओं समेत उनके गुर्गों की धरपकड़ हो रही है वैसे-वैसे एक के बाद एक भर्ती परीक्षाओं में हुई धांधलियों की पोल खुलती जा रही है. मामले की जांच के लिए गठित स्पेशल इंवेस्टिंगेशन टीम (SIT) एक पेपर माफिया को पकड़ती को नए पेपर माफिया का नाम सामने आ जाता है. दूसरी तरफ जैसे-जैसे जांच में तेज आती जा रही है वैसै-वैसे धांधली कर सरकारी नौकरियां हथियाने वालों के चेहरों की हवाइयां उड़ रही है.

इसी कड़ी में एसआईटी ने सोमवार को ट्रेनिंग कर रहे 15 सब इंस्पेक्टर्स को पेपर लीक/डमी कैंडिडेट बिठाने से संदेह में उनको उनके ट्रेनिंग सेंटर्स जयपुर स्थित राजस्थान पुलिस अकादमी और अजमेर स्थित पुलिस ट्रेनिंग सेंटर किशनगढ़ से उठाकर हिरासत में ले लिया. एसआईटी की इस कार्रवाई से राजस्थान लोक सेवा आयोग की ओर से वर्ष 2021 में आयोजित हुई सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा भी संदेह के दायरे में आ गई. एसआईटी ने सोमवार के इसी भर्ती परीक्षा के टॉपर समेत 15 सब इंस्पेक्टर्स को उठाया है. इससे इस परीक्षा में असफल रहे अभ्यर्थियों को थोड़ा सुकून मिला लेकिन चयनित अन्य थानेदारों की धड़कनें बढ़ गईं. इसके पीछे कई कारण हैं.

दरअसल पेपर लीक की कहानी को समझने के लिए हमें पिछले दस बरसों की तरफ लौटना होगा. पेपर लीक केवल राजस्थान ही नहीं हो हुए हैं बल्कि अन्य राज्यों में भी हुए हैं. फर्क इतना है अन्य राज्यों में पेपर कभी कभार लीक हुए हैं जबकि राजस्थान में एक के बाद एक लगातार भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक हुए हैं. बस यहीं से राजस्थान में पेपर लीक माफिया गैंग के जबर्दस्त तरीके से सक्रिय होने का शक शुरू हुआ. रीट भर्ती परीक्षा का पेपर एक बार लीक होने के बाद तो इनकी लाइन लग गई. उसके बाद शायद ही कोई परीक्षा होगी जिसमें पेपर लीक या डमी कैंडिडेट बिठाने समेत अन्य तरह की धांधलियां नहीं हो.

बस यहीं से राजस्थान का पढ़ा लिखा बेरोजगार निराशा में डूबने लगा और सूबे की गहलोत सरकार के प्रति उसका गुस्सा बढ़ने लग गया. बीजेपी ने बेरोजगार युवाओं की इस दुखती रग पर हाथ रखा और गहलोत राज में हुए पेपर लीक के मुद्दों को पांच साल तक जिंदा रखा. इसके लिए सड़क से लेकर सदन तक हंगामा मचाए रखा. तत्कालीन प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनिया समेत कई नेताओं ने लाठियां खाई और पुलिस के वाटर कैनन की पानी की तेज बौछारों का सामना किया. बीजेपी ने इसे चुनावी मुद्दा बनाया और पेपर लीक से परेशान युवाओं को भरोसा दिलाया कि वह उनके साथ न्याय करेगी. पेपर लीक से परेशान युवाओं ने बीजेपी पर भरोसा किया और सरकारी नौकरी पाने तथा पेपर लीक की त्रास्दियों से छुटकारा पाने के लिए उसने बीजेपी पर भरोसा जताया. उनके भरोसे की जीत हुई और बीजेपी सत्ता में लौट आई. अब बारी बीजेपी की है कि वह युवाओं को न्याय और उनकी मेहनत का फल दिलाए. वो भी लोकसभा चुनाव से पहले ताकि उनका भरोसा बना रहे.

बीजेपी ने भी इसमें देरी नहीं की और सरकार बनते ही पेपर लीक केस की जांच के लिए अपने वादे के अनुसार स्पेशल इंवेस्टिंगेशन टीम (SIT) का गठन कर दिया. सरकार ने इसकी कमान एडीजी एसओजी-एटीएस वीके सिंह को सौंप दी. पेपर लीक केस की कमान में आते ही वीके सिंह पूरी टीम के साथ अलर्ट मोड पर आ गए और निराश बेराजगार युवाओं को न्याय दिलाने के लिए अपनी पूरी ताकत झौंक दी. फिर पेपर लीक की पुराने मामलों और उनमें हुई कार्रवाइयों को गहन विश्लेषण कर पेपर लीक माफिया पर टूट पड़े. इस बीच पेपर लीक के कई मामलों की जांच एसओजी पहले से कर रही थी. अब उसके साथ एसआईटी भी जुड़ गई. लिहाजा परिणाम जल्द सामने आने लगे और ताबड़तोड़ गिरफ्तारियां होने लगीं.

क्या विवाद वाली भर्तियां रद्द होंगी?
अब सवाल उठता है कि क्या वो सभी भर्ती परीक्षाएं रद्द होंगी जिनमें धांधली की पुष्टि होगी. जानकारों का कहना है कि इसमें कोई शक नहीं राजस्थान में बीते 10 बरसों में शायद ही कोई ऐसी भर्ती परीक्षा होगी जिसमें धांधली नहीं हुई हो. भर्ती एजेंसी चाहे राजस्थान लोक सेवा आयोग या फिर राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड. सभी की परीक्षाएं पाक साफ नहीं हैं. सब पर दाग लगे हैं. एसआईटी की जांच में भर्ती परीक्षाओं की कलाइयां खुल तो रही हैं लेकिन ये परीक्षाएं रद्द होंगी या नहीं एसआईटी के निष्कर्ष और परीक्षा एजेंसी के विवेक पर निर्भर करेगा.

क्या इसे एसआईटी और परीक्षा एजेंसी तय करेंगी?
इसको लेकर जानकारों का कहना है कि यह एसआईटी की जांच पर निर्भर करेगा. अगर एसआईटी अपने जांच में पेपर लीक मानती है या फिर दूसरी कोई धांधली मानती यह उस पर निर्भर करेगा. अगर पेपर लीक माना गया तो कानूनन वह भर्ती परीक्षा रद्द होने के दायरे में आ जाएगी भले ही चयनित अभ्यर्थियों ने ज्वॉइन कर लिया हो. लेकर जांच एजेंसी मानती है कि पेपर लीक नहीं हुआ और डमी कैंडिडेट या फिर किसी दूसरी तरह की धांधली की गई है वह मामला अभ्यर्थी विशेष पर फोकस होगा.

भर्ती परीक्षा रद्द हुई तो क्या होगा?
अगर जांच एजेंसी यह मानती है कि पेपर ही लीक हो गया तो वह उस परीक्षा को रद्द करने की सिफारिश कर सकती है. लेकिन उस परीक्षा को रद्द करना या नहीं करना सरकार और भर्ती एजेंसी पर निर्भर करेगा. अगर परीक्षा एजेंसी केस के तमाम पहलुओं पर यह मान ले कि हां, वास्तव पेपर लीक हुआ है और उसे रद्द सकती है. लेकिन इसमें सरकार की सहमति की जरुरत होगी. अगर रद्द हो गई तो उस परीक्षा के चयनितों की नौकरी जाएगी. लेकिन उसके बाद भी इसमें कई पेंच आएंगे.

कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं चयनित अभ्यर्थी
इन परीक्षाओं में मेहनत के बूते सफल होने वाले अभ्यर्थी कोर्ट का दरवाजा भी खटखटा सकते हैं. लिहाजा पेपर केस की कलइयां खुल जाने के बाद भी बिखरी कड़ियों को जोड़ने में बेहद जोर आएगा. इसलिए जैसे-जैसे पेपर लीक में नित नए खुलासे हो रहे हैं वैसे-वैसे आरोपियों के तो होश उड़ ही रहे हैं मेहनत के दम पर सफल होने वाले अभ्यर्थी भी तनाव में है. क्योंकि अगर भर्ती परीक्षा ही रद्द गई तो पक पकाई नौकरी चले जाने की आशंका मंडरा रही है.

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