राजस्थान: अब सीएम पद की बारी, दिल्ली में मंथन जारी, चर्चाओं का बाजार है भारी

हाइलाइट्स

राजस्थान विधानसभा चुनाव
कौन बनेगा राजस्थान का सीएम
करीब आधा दर्जन फेस हैं दौड़ में

जयपुर. राजस्थान में विधानसभा चुनाव में बीजेपी को स्पष्ट बहुमत मिलने के बाद अब सूबे की कमान किसे मिलेगी इसके परिणाम का इंतजार है. इसके लिए जयपुर से लेकर दिल्ली तक कवायद चल रही है. सीएम फेस के तौर पर सूबे में कई नामों पर चर्चा हो रही हैं. सीएम पद की रेस में केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत से लेकर केन्द्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे, नवनिर्वाचित विधायक दीया कुमारी और बाबा बालकनाथ के नामों की खासी चर्चा है.

राजस्थान से लेकर दिल्ली तक के सियासी गलियारों में राजस्थान के सीएम फेस के लिए इनके नामों पर चर्चा हो रही है. इनके लिए सबके अपने-अपने तर्क और दावे हैं. दूसरी तरफ चर्चाओं में बने ये नेता अभी किसी भी तरह की प्रतिक्रिया देने से लगभग बच रहे हैं. इन चेहरों के समर्थक गाहे-बगाहे इनको सीएम फेस बनाए जाने की पुरजोर वकालत भी कर रहे हैं. लेकिन सीएम फेस कौन होगा बीजेपी ने अभी तक इसके पत्ते नहीं खोले हैं.

Rajasthan Politics: अब सीएम पद की बारी, दिल्ली में मंथन जारी, चर्चाओं का बाजार है भारी

केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत
केन्द्रीय मंत्री एवं जोधपुर सांसद गजेन्द्र सिंह शेखावत पीएम मोदी के राजस्थान के पसंदीदा नेता माने जाते हैं. 2018 में उन्हें राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष बनान तय हो गया था. तब माना जा रहा था कि बीजेपी 2018 में ही शेखावत को सीएम फेस प्रोजेक्ट करने की तैयारी कर रही है. लेकिन तब पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के विधायकों को लेकर दिल्ली कूच से शेखावत को अध्यक्ष बनाने का फैसला पलटना पड़ा. उसके बाद जब 2020 में सचिन पायलट की बगावत की वजह से गहलोत सरकार संकट में आई थी तब भी शेखावत फ्रंट में थे. माना जा रहा था कि अगर गहलोत सरकार गिरी तो शेखावत की अगुवाई में बीजेपी सरकार बना सकती है.

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राजस्थान की सियासत में गहलोत बनाम शेखावत चर्चित है
शेखावत ने 2019 में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को जोधपुर से लोकसभा चुनाव में हराया था. तब गहलोत ने मुख्यमंत्री रहते बेटे का जोधपुर में गली गली प्रचार किया था. तब से राजस्थान की सियासत में गहलोत बनाम शेखावत चल रहा है. गहलोत ने शेखावत को सरकार गिराने की साजिश और संजीवनी चिटफंड केस में आरोपों से घेरकर मुद्दा बना रखा था. दूसरी तरफ शेखावत ने गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा के खिलाफ दिल्ली में कोस दायर कर रखा है. लेकिन पीएम मोदी शेखावत के पीछे खड़े रहे. शेखावत संघ की भी पसंद माने जाते हैं. संघ की सीमा कल्याण समिति के मुखिया के रूप में बोर्डर इलाकों में काम कर चुके हैं. लेकिन राजपूत समुदाय के चेहरे को सीएम फेस बनाने से बीजेपी को जाटों का समर्थन खोने का खतरा है.

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लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला
कोटा से सांसद ओम बिरला ने बतौर लोकसभा अध्यक्ष शानदार काम किया है. वे राजस्थान में वसुंधरा राजे के धुर विरोधी माने जाते हैं. बिरला उसी कोटा डिविजन यानी हाड़ौती से है जहां से वसुंधरा राजे हैं. राजस्थान की सियासत में जाट बनाम राजपूत की स्थिति को रोकने के लिए ओम बिरला के नाम पर विचार किया जा सकता है. बिड़ला वैश्य वर्ग से हैं. ऐसे में वे ताकतवर जातियों जाट, राजपूत, मीणा और गुर्जरों के बीच संतुलन साध सकते हैं. बिरला को सीएम बनाने पर किसी भी ताकतवर जाति के वोट बैंक खिसकने का खतरा कम है. बिड़ला का संवाद और संपर्क बीजेपी में ठीक माना जाता है. लेकिन बिरला को राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ का समर्थन मिलने पर संशय है.

इन नामों के पीछे ये दिए जा रहे हैं तर्क
अर्जुनराम मेघवाल को बीजेपी ने बतौर दलित चेहरा आगे कर रखा है. बीकानेर के सांसद एवं केन्द्रीय मंत्री मेघवाल भी पीएम मोदी के भरोसमंद माने जाते हैं. पिछले दिनों उनको कानून मंत्रालय की बागडोर भी सौंपी गई थी. वहीं बाबा बालकनाथ राजस्थान में नाथ संप्रदाय से जुड़े बड़े महंत हैं. उनकी हिन्दूवादी नेता की छवि है. जबकि दीया कुमारी राजसमंद से सांसद हैं. युवा चेहरा है और जयपुर के पूर्व राजपरिवार की सदस्य हैं. पिछले काफी समय से बीजेपी का उन पर भरोसा बढ़ा है. बीजेपी अध्यक्ष सीपी जोशी ब्राह्मण समुदाय से आते हैं. उनके पास राजस्थान में पार्टी की कमान है. ओम माथुर पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे हैं. राजस्थान की राजनीति पर उनकी अच्छी पकड़ है. वे लंबे समय तक गुजरात के प्रभारी भी रहे हैं.

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