भरत तिवारी/जबलपुर. जबलपुर ग्वारीघाट रोड़ पर स्थित बादशाह हलवाई मंदिर की स्थापना 11वीं से 13वीं शताब्दी के बीच कलचुरी काल में की गई थी. दूर से देखने में तो ये मंदिर काफी छोटा मालूम पड़ता है, लेकिन जब आप इसके अंदर जाएंगे तो आपको चारों युग सतियुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग देखने को मिलेंगे. इतना ही नहीं यहां सभी दिशाएं भी देखने को मिलेंगी, इसी मंदिर में अगर आप गुम्मद की तरफ देखेंगे तो आपको श्री यंत्र बना हुआ मिलेगा.
यहां नवग्रह और 27 नक्षत्र भी देखने को मिलेंगे. पुजारी जी के अनुसार इस मंदिर में लगभग 500 प्रतिमाएं स्थापित हैं. इस मंदिर की हर एक दीवार में देवताओं की प्रतिमा अंकित है, यह मंदिर 30 स्तंभ पर टिका हुआ है. मंदिर के अंदर हर एक चीज हर एक तस्वीर किसी ना किसी कहानी को दर्शाती है.
ऐसे पड़ा इस मंदिर का नाम बादशाह हलवाई
इस मंदिर का असल नाम पंचानन महादेव है, लेकिन लोग इसे बादशाह हलवाई के नाम से जानते हैं. मंदिर में मौजूद पुजारी जी ने बताया कि बादशाह हलवाई नाम के एक शासक हुआ करते थे. पुराने जमाने में ये मंदिर उनके कब्जे में था, इसलिए लोग इसे बादशाह हलवाई के नाम से जानने लगे, लेकिन इसका असली नाम आज भी पंचानन महादेव या बोलनाथ है.
भगवान की मर्जी के बिना कोई नहीं रख सकता मंदिर में कदम
इतना प्राचीन और अद्भुत होने के कारण भी इस मंदिर को बहुत कम लोग ही जानते हैं, इस बारे में जब हमने पुजारी जी से सवाल किया तो उन्होंने बताया कि इस मंदिर की ऐसी मान्यता है कि इसके अंदर वही आ पाएगा जिसे भगवान भोलेनाथ चाहेंगे नहीं तो आप इसके सामने से भी निकल जाओगे और आपको पता भी भी चलेगा. पंडित जी के अनुसार शायद ये वही कारण है जिसके कारण लोग इस मंदिर के बारे में बहूत कम जानते हैं, और अगर आम तौर पर देखा जाए तो बाहर से देखने के आपको यह मंदिर साधारण ही दिखेगा. आपको अंदर जाए बिना इस मंदिर की खूबसूरती नहीं दिखेगी, शायद इसलिए आसपास के लोगों के अलावा जो दूसरे लोग यहां से निकलते हैं. वह इसे एक आम मंदिर समझ के दूर से ही प्रणाम करके निकल जाते है.
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FIRST PUBLISHED : November 25, 2023, 19:39 IST