मनमोहन सेजू/बाड़मेर:- देशभर में रमजान का पाक महीना चल रहा है. मुस्लिम लोग इसी नमाज के माध्यम से अल्लाह की इबारत करते हैं. हर मुस्लिम के लिए 5 वक्त की नमाज पढ़ना फर्ज माना गया है. इन पांच नमाजों के नाम फजर, जुहर, असर, मगरिब और ईशा है. इन नमाजों को अलग-अलग वक्त पर अदा किया जाता है. इसके अलावा भी कई नफील नमाजें हैं, जो अलग-अलग दिन और अलग-अलग मौकों पर पढ़ी जाती है.
नमाज में अल्लाह की इबादत यानि पूजा की जाती है और कुरान पढ़ा जाता है. नमाज के जरिए ही अल्लाह पाक से अपनी गुनाहों की माफी मांगी जाती है. इसके अलावा नमाज के अंदर कई तरह की पोजीशन होती है, जो मन को शांति देने के साथ-साथ कई तरह के शारीरिक लाभ भी देती हैं. इसे पढ़ने से पहले साफ-सुथरे कपड़े पहनकर, हाथ-मुंह व पैर धुल लिया जाता है.
5 बार अदा की जाती है नमाज
इस्लाम के 5 स्तंभ या फर्ज माने गए हैं. इस्लाम धर्म में इस पर अमल करना हर मुसलमान के लिए फर्ज यानी जरूरी माना गया है. माना जाता है कि नमाज अदा करते वक्त इंसान अल्लाह के सबसे ज्यादा करीब होता है. सबसे पहले दिन की शुरुआत में यानी सुबह की नमाज को फजर कहा जाता है. सुबह के सूरज निकलने से पहले फजर की नमाज पढ़ी जाती है. इस नमाज में सिर्फ 4 रकत नमाज होती हैं, जिसमें 2 रकात सुन्नत नमाज और 2 रकात फर्ज नमाज होती है. दिन की दूसरी नमाज को जुहर की नमाज कहा जाता है. इसमें पूरे 12 रकात नमाज होती हैं, जिसमें 4 सुन्नत नमाज , 4 फर्ज नमाज , 2 सुन्नत और 2 नफ्ल नमाज होती है.
इस समय पढ़ी जाती है तीसरी और चौथी नमाज
जामा मस्जिद के पेश ईमाम मौलाना लाल मोहम्मद सिद्दिकी के मुताबिक दिन में तीसरी नमाज दोपहर में पढ़ी जाती है, जिसे असर नमाज कहा जाता है. यह दिन के लगभग सूरज ढ़लने से पहले पढ़ी जाती है. असर की नमाज में 4 सुन्नत और 4 फर्ज नमाज अदा की जाती है. इस्लाम की चौथी नमाज मगरिब की नमाज है, जो दिन के आखिरी हिस्से से पहले पढ़ी जाती है. इस नमाज के बाद सूरज ढ़ल जाता है. इस नमाज में 3 फर्ज नमाज , 2 सुन्नत और 2 नफ्ल नमाज होती है.
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रमजान में पढ़ते हैं तरावीह की नमाज
लाल मोहम्मद सिद्धिकी के मुताबिक इस्लाम की पांचवीं और आखिरी नमाज ईशा की नमाज होती है. ईशा की नमाज में सबसे ज्यादा 17 रकात होती हैं. इसके बाद रमजान माह में लोग तरावीह की नमाज पढ़ते है. इस तरह रमजान के पाक महीने में हर मुस्लिम को 5 वक्त की नमाज अदा करने का फर्ज निभाना चाहिए, जिससे अल्लाह की इबादत होती है.
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FIRST PUBLISHED : March 16, 2024, 15:25 IST
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