रंग लाई पिता-पुत्र की जोड़ी, एक बीघा में लौकी की खेती कर हो रही इतनी कमाई

विशाल कुमार/छपरा: सारण में किसान पारंपरिक धान, गेहूं और मक्का सहित अन्य फसलों की खेती से अब अलग हटकर खेती करने लगे हैं. किसान अब नगदी फसल की ओर रूख कर लिया है. अब किसान बड़े पैमाने पर सब्जी की खेती करने लगे हैं. खेती-किसानी के क्षेत्र में युवा वर्ग की भी हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है. जिसके चलते खेती करने का ट्रेंड भी बदलाता जा रहा है.

सारण जिला के रिविलगंज प्रखंड अंतर्गत मुबारकपुर गांव के रहने वाले युवा टुनटुन यादव और उनके पिता बच्चा यादव सब्जी की खेती भी कर रहे है. पिता-पुत्र की जोड़ी ने एक बीघा में लौकी की खेती किया है. इसे रोजाना आमदनी हो रही है.

पुत्र की सलाह पर शुरू की सब्जी की खेती

किसान बच्चा यादव ने बताया कि धान और गेहूं जैसे पारंपरिक फसलों की खेती में मेहनत के अनुसार मुनाफा नहीं हो पा रहा था. जो लगातार परेशानी का सबब बनता जा रहा था. पुत्र टुनटुन यादव की सलाह पर एक बीघा में लौकी लगाया. बाजार से लाकर यूएस डब्ल्यूएस-906 वैरायटी का लौकी लगाया है.

मचान विधि से लौकी की खेती करने का फायदा यह हुआ कि लत में फलन बेहतर हो रहा है. साथ हीं सब्जी की खेती करने से एक फायदा यह हुआ कि रोजाना आमदनी होने लगी. अब तो ठान लिया है कि पारंपरिक खेती को छोड़कर अब सिर्फ बड़े पैमाने पर सब्जी की हीं खेती करनी है.

हर हफ्ते दस हजार से अधिक की हो रही है कमाई

युवा किसान टुनटुन यादव ने बताया कि एक बीघा में लौकी की खेती फिलहाल कर रहे हैं. प्रत्येक दिन खेत से लौकी निकल रहा है. हर हप्ते 10 हजार से अधिक कमाई हो जा रही है. व्यापारी खेत पर आकर लौकी ले जा रहे हैं. वहीं व्यापारी के माध्यम से छपरा सहित आस-पास के बाजार में लौकी पहुंच रहा है. फसल को सुरक्षित रखने के लिए विशेष तरह की जैविक दवा स्मार्ट प्रोडक्ट का छिड़काव करते हैं.

उन्होंने बताया कि पहले रसायनिक खादों पर अधिक रूपए खर्च हो जाता था. लेकिन जैविक दवा न सिर्फ सस्ता है बल्कि कारगर भी है. जैविक दवा के उपयोग से फसल को कोई नुकसान भी नहीं पहुंचता है. टुनटुन यादव ने बताया कि बेहतर मुनाफा को देखते हुए लौकी की खेती को और अधिक विस्तार देने का भी प्लान है.

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