ये है रहस्यों से भरा अनोखा मंदिर, हिंदू-मुस्लिम दोनों करते हैं पूजा

सौरभ तिवारी/बिलासपुर. बिलासपुर, छत्तीसगढ़ में स्थित एक रहस्यमयी और धार्मिक महत्व की जगह है जिसे बावली कुआं कहा जाता है. इस स्थान पर अंग्रेजों ने भी अपना माथा ठेका था. यहां स्थित ज्वाली नाला के पास स्थित यह कुआं सैकड़ों साल पुराना है और इसके आस-पास कई कहानियां हैं. इस कुएं में सुरंगों की भी मौजूदगी है जो कहीं दूर तक जाती हैं और रतनपुर नामक शहर से 30 किलोमीटर तक पहुंचती हैं.

रतनपुर से रानियां तक की सुरंगों का उपयोग यहां के लोगों द्वारा किया जाता था. बावली को गहरा माना जाता है और इसमें रतनपुर तक जाने वाली सुरंगों की तरह होती है. इसका पानी राज परिवार की महिलाओं के नहाने के लिए इस्तेमाल होता था. इस बावली के आस-पास पटरे बिछाए गए हैं, जिससे इसे धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है. यहां गणेशोत्सव के अवसर पर गणपति विराजमान होते हैं और मोहर्रम के समय समुदाय के विशेष आयोजन होते हैं. इस बावली से साम्प्रदायिक सद्भाव की अद्भुत मिसाल प्रस्तुत होती है.

क्या है इसका इतिहास
1860 में भोसले की रियासत रतनपुर में स्थित थी, और उस समय गांव की रूपरेखा में बिलासपुर रतनपुर के राजा की साम्राज्यिक विधायक क्षेत्र का हिस्सा था. राजा के आदेश पर पुरुषोत्तम शेष ने बिलासपुर आकर यहां किले की नींव रखी. उनकी मृत्यु के बाद, उनकी पत्नी भागीरथी बाई ने इस संपत्ति का संरक्षण किया और सामाजिक कार्यों में रुचि रखती रही, प्रजा की सेवा करती रही. उन्होंने इसी भावना से इस बावली कुएं का निर्माण करवाया. इस कुएं से जुड़ी एक कहानी के अनुसार, अंग्रेजी सूबेदार और सैनिक भी इसके पानी से प्यास बुझाते थे और यहां माथा टेकते थे जब वे इस क्षेत्र में थे.

Tags: Bilaspur news, Chhattisgarh news, Latest hindi news, Local18, Religion 18

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *