हिमांशु जोशी/ पिथौरागढ़. 12,000 फीट की ऊंचाई पर भारत-चीन सीमा का अंतिम गांव है कुटी (Kuti Village), जोकि उत्तराखंड का सबसे खूबसूरत गांव है. इसका धार्मिक मान्यताओं में खास महत्व है. माना जाता है कि महाभारत की घटनाओं से इस गांव का सीधा संबंध है. इसका नाम ही पांडवों की माता कुंती के नाम पर पड़ा है. धार्मिक मान्यताओं में महाभारत युद्ध के बाद पांडव दुखी होकर अपनी माता कुंती और पत्नी द्रौपदी के साथ इस स्थान पर पहुंचे थे, जहां पर उन्होंने लंबे समय तक महल बनाकर निवास किया. इसी जगह पर घूमते हुए युधिष्ठिर को स्वर्ग की प्राप्ति हुई थी और अन्य भाइयों और पत्नी ने युधिष्ठिर की तलाश करते हुए इसी स्थान पर अपने प्राण त्यागे थे.
माता कुंती जो अपने बेटों और बहू के आने का इंतजार कर रही थीं, उन्हें अहसास हो गया था कि अब उनके बेटे वापस नहीं आने वाले, जिस कारण उन्होंने देवताओं की आराधना की और देवताओं ने उन्हें इस स्थान पर अमरत्व का वरदान दिया. गांव के लोग माता कुंती को आज भी देवी के रूप में पूजते हैं. स्थानीय निवासी गिरिराज सिंह कुटियाल ने जानकारी देते हुए बताया कि इस गांव का संबंध महाभारत काल से है.पांडवों की माता कुंती के नाम पर ही यहां का नाम कुटी पड़ा है. धार्मिक यात्राओं में रुचि रखने वाले पर्यटक यहां जरूर आते हैं.
साल में सिर्फ 6 महीने रहते हैं ग्रामीण
कुटी गांव के ग्रामीण साल में सिर्फ 6 महीने ही अपने गांव में गुजारते हैं. हिमालय की गोद में बसा यह गांव सर्दियों में पूरी तरह बर्फ से ढक जाता है. आजादी के 70 दशक बाद भी यहां न तो बिजली है और न ही कोई हेल्थ सेंटर. ग्रामीण खेती के जरिए ही अपना पेट भरते हैं. यहां के कुछ लोग इंडो-चीन ट्रेड में भी हिस्सेदारी करते थे, लेकिन बीते दो साल से ट्रेड बंद होने से उनका कारोबार भी ठप पड़ा है.
कुटी गांव में सिर्फ एक दुकान
बॉर्डर के इस अंतिम गांव में एक ही दुकान है, जो आने-जाने वाले सैलानियों के अलावा आईटीबीपी के जवानों से आबाद रहती है. पिथौरागढ़ जिले के अति दुर्गम इन इलाकों का धार्मिक मान्यताओं में खासा महत्व है. भगवान शिव के निवास स्थान कैलाश मानसरोवर पहुंचने का यह पौराणिक मार्ग है, जिसे स्वर्ग जाने का रास्ता भी कहा जाता है. विपरीत परिस्थितियों में भी इस स्थान पर रहना यहां के लोगों को अलग बनाता है.
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FIRST PUBLISHED : October 10, 2023, 19:35 IST