ग्वालियर. अयोध्या में 22 जनवरी भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है. राम मंदिर के लिए देश भर में लाखों लोगों ने इसके लिए कुर्बानी दी. ग्वालियर में भी तीन कार सेवकों ने 6 दिसम्बर 1992 को बाबरी ढांचा गिराने के साथ ही भगवान रामलला का चबूतरा बनाया था. ग्वालियर के रहने वाले इंजीनियर विनोद अष्टाइया इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़कर कर सेवा करने अयोध्या पहुंचे थे. उनके साथ केशव सिंह और राजेंद्र सिंह कुशवाहा भी थे. तीनों ने बाबरी ढांचा गिरने के बाद भगवान रामलला के लिए अपने हाथों से चबूतरा बनाया था. तीनों आज भगवान राम के मंदिर बनने पर खुश नजर आ रहे हैं. इनका कहना है कि इन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि उनके जीते जी भगवान राम का मंदिर बन जाएगा. यह उनका सौभाग्य है. अब वह भगवान राम के मंदिर में दर्शन करने के लिए जाएंगे.
ग्वालियर के इंजीनियर विनोद अष्टाइया ने बताया कि वह अपने कार सेवक साथियों के साथ ट्रेन से 28 नवंबर 1992 की शाम ग्वालियर से अयोध्या के लिए रवाना हुए थे. 29 को अयोध्या में पहुंचने के बाद सरयू नदी में स्नान कर वह राम जन्मभूमि स्थल गए. यहां उनके अन्य साथी कार सेवक भगवान के भजन कर रहे थे. करीब एक सप्ताह में वहां लगातार कार सेवकों की तादाद बढ़ती चली गई. 5 दिसंबर 1992 को बाबरी ढांचे के पास ही अटल जी का भाषण था. इसके बाद 6 दिसंबर को अशोक सिंघल, लाल कृष्ण आडवाणी, साध्वी उमा भारती और ऋतंभरा के भाषण सुनने के बाद कार सेवक उत्साह से भर गए. उसके बाद सभी ढांचे पर टूट पड़े. थोड़ी देर में बाबरी ढांचा ढह गया. वो पल आज याद करते हैं तो गौरव महसूस होता है. भगवान राम का भव्य मंदिर बन रहा है. जहां हमने भी अपना योगदान दिया था.
सिंह ने बनाया रामलला के लिए चबूतरा
ग्वालियर के मिस्त्री सरदार केशव सिंह पूरी टोली के नायक की तरह थे. दरअसल, सरदार के सिर पर पगड़ी होने के चलते सभी साथी कार सेवक उन्हें दूर से ही देख लेते थे. सिंह ने बताया कि 6 दिसंबर को जब बाबरी ढांचा ढह गया और रामलला के जन्म स्थान पर मैदान बन गया तब उन्होंने एक लकड़ी उठाकर वहां उस जगह को साफ किया. उसके बाद मिट्टी और अन्य संसाधन से रामलला के लिए एक चबूतरा बनाया. इस काम में उनके अन्य कार सेवक साथियों ने मदद की. चबूतरा बनाने के बाद सभी ने भगवान रामलला को उस चबूतरे पर विराजित किया. इसके बाद मिलिट्री आई तो फिर तो सभी कार सेवक वहां से रवाना हो गए. केशव सिंह को इस बात का गौरव है कि जिस स्थान पर उन्होंने चबूतरा बनाकर रामलला को बैठाया था. आज उसे जगह भव्य श्री राम मंदिर बन गया है और भगवान राम विराजित होंगे. यह देखना उनके जीवन के लिए सबसे बड़ा सौभाग्य का पल है.
राजेंद्र ने गिराई थीं बाबरी ढांचे की ईटें
कारसेवक राजेंद्र सिंह पुलिस वाले के कंधे पर सवार होकर बाबली के ढांचे पर चढ़ गए थे. उन्होंने वहां जाकर ईटें गिराई थीं. इसके बाद जब रामलला का चबूतरा बनाया जा रहा था तो उन्होंने केशव सिंह के लिए मिट्टी और पानी का इंतजाम किया था. राजेंद्र सिंह कहते हैं कि वह राम मंदिर आंदोलन के लिए अपना जीवन कुर्बान करने की नीयत से रवाना हुए थे. लेकिन, उनका सौभाग्य था कि उनके सामने ही बाबरी मस्जिद का ढांचा गिर गया. अब भगवान राम का मंदिर भी उनके जीवन में बन रहा है. राजेंद्र का कहना है कि प्राण प्रतिष्ठा के बाद वह अयोध्या जाकर भगवान श्री राम के दर्शन करेंगे.
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FIRST PUBLISHED : January 4, 2024, 11:09 IST