ये हैं गणपति के 8 स्वरूप, मंदिर में इस विधि से करें पूजा, जरूर पूरी होगी मनोकामना!

रामकुमार नायक/रायपुरः हर पूजा पाठ और अनुष्ठान में भगवान गणेश जी को प्रथम पूजनीय माना गया है. सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करने के बाद ही दूसरे देवताओं की पूजा होती है. वैसे तो अन्य देवी देवताओं के कई सारी मंदिर आपने देखे होंगे. जिसमें शिव मंदिर, माता मंदिर शामिल हैं, लेकिन भगवान गणेशजी की मंदिर बहुत कम स्थानों पर है. वैसे तो भगवान गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है, उनके दर्शन मात्र से विघ्न दूर हो जाते हैं. वहीं भक्त उन्हें बुद्धि के देवता भी कहते हैं और पूजा अर्चना कर आशीर्वाद मांगते हैं.

आज हम आपको छत्तीसगढ़ के एक प्राचीन गणेश मंदिर का दर्शन कराने वाले हैं. यह मंदिर राजधानी रायपुर के सबसे प्राचीन तालाब बुढ़ा तालाब के तट पर बुढ़ा पारा में स्थित है. यहां भगवान गणेश विघ्नहर्ता स्वरुप में विराजित हैं. लोगों की मान्यताएं है कि यहां आकर दर्शन करने वालों के कष्ट विघ्नहर्ता हर लेते हैं. यहां गणेश जी के 8 स्वरूप मुख्य रूप से माने जाते हैं.

यहां करें 8 स्वरूपों के दर्शन
वहीं आठ स्वरूप मुख्य रूप से इस मंदिर में दर्शाए गए हैं. उनकी प्रतिमाओं के नीचे जिक्र भी किया गया है. जैसे वक्रतुंड, एकदंत, महोदर गजानंद, लंबोदर, विघ्नहर्ता, धूम्रवर्ण और विकट शामिल हैं. यह गजानंद जी के प्रथम 8 मुख्य रूप को दर्शाया गया है. इसके अलावा अंदर सिद्धिविनायक बैठे हुए हैं. ऐतिहासिक बुढातालाब के तट पर स्थित यह दक्षिणमुखी गणेश मंदिर है.

विशेष तरीके से होती है पूजा
मंदिर के पुजारी पंडित विनोद मिश्रा ने बताया कि यहां पर भक्त हर महीने आते हैं, इस मंदिर का महत्व राजधानी के अंदर अलग ही है. क्योंकि यह राजधानी में गणेश जी का सबसे पुराना मंदिर है. यहां भगवान गणेशजी की पूजा, अर्चना, आरती विशेष प्रकार की होती है. सुबह ब्रह्म मुहूर्त में पूजा अभिषेक और श्रृंगार किया जाता है. भक्तों का तांता हमेशा लगा रहता है. कई भक्त आते हैं भगवान गणेशजी की पूजा करते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.

भगवान गणेश से ऐसे मांगें मन्नत
मंदिर के पुजारी पंडित विनोद मिश्रा ने आगे बताया कि गणेशजी को सबसे ज्यादा मोदक के लड्डू पसंद है. यहां गणेशजी को मोदक का भोग लगाया जाता हैं, और साथ में दूर्वा चढ़ाते हैं. यह मंदिर लगभग 40 से 42 साल पुराना मंदिर है, जब यह स्थापित हुआ है. तब से यहां पर भक्त हमेशा आते हैं और भगवान गणेश उनकी सुनते हैं. रोज करीब 10 भक्त मनोकामना के लिए नारियल बांधते हैं. मनोकामना पूरी होने के बाद उसे निकाल देते हैं.

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