ये हैं आज के ‘द्रोणाचार्य’, इनके पढ़ाए 13 छात्र पंजाब ज्यूडिशियरी में बने जज

अंकित दुदानी/चंडीगढ़: गुरु ही जीवन में एक ऐसा शख्स होता है जो निष्काम भाव से शिष्यों के प्रति समर्पित रहता है और उन्हें मुकाम तक पहुंचाने में अहम रोल अदा करता है. चंडीगढ़ सेक्टर 20 के रहने वाले गुरिंदर पाल सिंह वरिष्ठ अधिवक्ता हैं और पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष भी रह चुके हैं. गुरिंदर पाल सिंह एक एकेडमी चलाते हैं, जिसे जीपी एकेडमी नाम दिया गया है. इस एकेडमी के माध्यम से वह ज्यूडिशियरी की तैयारी कर रहे छात्रों को कोचिंग देते हैं.

कोरोना के पहले से दे रहे हैं कोचिंग
गुरिंदर सिंह ने बताया की 2019 में यह एकेडमी खोली और कोचिंग देना शुरू किया. उसके बाद से लगातार उनके पढ़ाए छात्र ज्यूडिशियरी एग्जाम में सिलेक्ट हो रहे हैं. वह पंजाब ज्यूडिशियरी का एग्जाम हो या हरियाणा ज्यूडिशियरी का एग्जाम दोनों में ही उनकी कोचिंग के छात्र मेहनत करके जज बन रहे हैं.

कैसे हुई कोचिंग की शुरुआत
गुरिंदर पाल सिंह ने बताया कि वर्ष 2019 में जब एक दिन वह कोर्ट में अपना काम निपटा रहे थे, तब दो छात्र उनसे आकर मिले. छात्रों ने कहा कि वह ज्यूडिशियरी का एग्जाम देना चाहते हैं. गुरिंदर पाल ने कहा कि वह आर्थिक रूप से कमजोर छात्र थे और उन्होंने कहा कि वह बड़ी कोचिंग का खर्च नहीं दे सकते. गुरिंदर ने उन्हें कहा कि वह उनके ऑफिस में आएं और वहां उन्होंने कोचिंग देनी शुरू की. इसी तरह से धीरे-धीरे छात्र बढ़ते गए और कोचिंग सेंटर की शुरुआत हो गई.

चंडीगढ़ सेक्टर 20 में देते हैं कोचिंग
गुरिंदर में कहा कि 2020 में कोरोना के समय छात्र कम हो गए और उसके बाद अब काफी संख्या में छात्र कोचिंग लेने के लिए आ रहे हैं. लेकिन, मैं इतनी ज्यादा छात्रों को कोचिंग नहीं दे सकता और मना भी नहीं कर सकता, इसलिए जितना हो सकता है मैं बच्चों को कोचिंग देता हूं.

आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को देते हैं फ्री कोचिंग
गुरिंदर पाल ने बताया कि वह आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को फ्री में कोचिंग देते हैं और किसी भी तरह का कोई पैसा उनसे नहीं लेते, बल्कि पीजी और खाने-पीने का खर्चा भी वही वहन करते हैं.

पंजाब ज्यूडिशियरी के एग्जाम में हुए 13 छात्र सेलेक्ट
गुरिंदर पाल ने बताया कि मैं 25 बच्चों को कोचिंग दे रहा था, जिसमें से चार बच्चे बीच में छोड़ कर चले गए. उन्हें शायद मेरे पढ़ाने का तरीका पसंद नहीं आया. 21 बच्चों में से तीन बच्चे प्री एग्जाम में रह गए. बचे हुए 18 बच्चों में से 13 बच्चे अबकी बार पंजाब ज्यूडिशियरी के एग्जाम में सिलेक्ट हुए हैं.

हिम्मत हार जाने वाले बच्चों को दी सीख
गुरिंदर पाल ने उन बच्चों को एक संदेश दिया जो हालात की वजह से या फिर किसी अन्य कारण से पढ़ाई छोड़ देते हैं और तैयारी नहीं करते. उनके लिए कहा कि अगर आप हार ही मान जाओगे तो आगे किस तरह पढ़ोगे. लड़ना जरूरी है जीत या हार उसके बाद की बात है.

पढ़ने का अलग है अंदाज
गुरिंदर पाल ने बताया कि उनका पढ़ाने का अंदाज़ अलग है और अपना-अपना तरीका है. वह बच्चों के बीच में बैठकर आम बातचीत करते हुए उन्हें पढ़ाते हैं और सिखाते हैं. उन के बच्चों को कभी ऐसा महसूस नहीं होता कि वह किसी क्लासरूम में पढ़ रहे हैं. वहीं कोचिंग ले रहे छात्रों ने भी बताया कि उन्हें बहुत ही अच्छे तरीके से पढ़ाया जाता है जिससे कि उनकी कोचिंग बहुत ही अच्छी होती है जिस तरह अबकी बार 13 बच्चे सेलेक्ट हुए हैं, उससे उनका हौसला भी काफी बढ़ा है.

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