आदित्य आनंद/गोड्डा. गोड्डा मेले में आया मौत का कुआं आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. इस मौत के कुएं में दिखाए जाने वाला मौत का करतब लोगों को आकर्षित कर रहा है. मौत के कुएं में जिस प्रकार खिलाड़ियों द्वारा मोटरसाइकिल के हैंडस को छोड़कर दीवारों पर चलाया जाता है. उसे देख दर्शकों की जान हलक पर आ जाती है. यह खेल मेले में एक दिन में रोजाना 8 से 10 बार चलता है और हर बार खेल दिखाने वाले खिलाड़ी मौत से बस कुछ सेकंड की दूरी पर रहते हैं.
इस मौत का खेल दिखाने वाले खिलाड़ीयो से लोकल 18 ने जब बातचीत की तो उन्होंने बताया कि दीवारों पर यूं मोटरसाइकिल चलाने से उनकी आदत हो गई है, इसलिए उन्हें डर नहीं लगता है. गोड्डा मेला में मौत का खेल दिखाने आए विशाल कुमार ने बताया कि वह पिछले 10 वर्षों से मौत के कुएं में मोटरसाइकिल दौड़ा रहे हैं. इससे हर एक मेले में वह तकरीबन 10 से 15 हज़ार रुपए कमा लेता हैं और सालों भर उन्हें देशभर के किसी न किसी मेले में काम मिल जाता है. वह बिहार की शेखपुरा जिले के रहने वाले हैं.
घर वालों को नहीं पता काम के बारे में
हालांकि वह जिस मौत के करतब को दिखाते हैं इसके बारे में उनके घर वालों को पता नहीं है. विशाल ने बताया कि वह 2012 में मौत के कुएं में काम करने के लिए आया था जब वह पहली बार मारुति में बैठकर मौत के कुएं में घूम रहा था तब उन्हें पहली बार थोड़ा बहुत डर लगा था इसके बाद धीरे-धीरे वह खुद से भी मोटरसाइकिल घूमने लगा. हालांकि 10 वर्षों में अब तक उनके साथ कोई घटना नहीं घटी है.
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FIRST PUBLISHED : February 13, 2024, 16:14 IST