रूपांशु चौधरी/हजारीबाग.आने वाले 14 फरवरी को बसंत पंचमी का त्योहार है. इस दिन मां सरस्वती की पूजा होती है.इसको लेकर हर जगह तैयारी शुरू हो गई है. हजारीबाग में बेहद धूमधाम के साथ माता के इस पर्व को मनाया जाता है. अब मूर्तिकार भी मां सरस्वती की मूर्तियों को अंतिम रूप देने में लग चुके है. हजारीबाग के कुम्हारटोली में 20 परिवार से अधिक लोग मूर्ति बनाने में जुटे हुए है. ये सभी परिवार प्रजापति समाज से आते है. यहां बने मूर्ति की डिमांड पूरे झारखंड से आती है.
कुम्हार टोली के एक मूर्तिकार वासुदेव कुमार ने कहा कि इस मोहल्ले में पिछले 50 सालों से मूर्ति बनाने का काम चल रहा है. अभी आने वाले माता सरस्वती पूजा को लेकर इस मोहल्ले में कई प्रकार के मूर्ति उपलब्ध है. इस मोहल्ले के मूर्तिकार साल भर मूर्ती बनाने का काम करते है. यहां के मूर्तिकार अन्य शहरों में भी जाकर मूर्ति बनाते है. यहां सभी मूर्तिकार एक दूसरे को देख कर सीखते है. हमलोग के भी बच्चे भी इसके लिए अभी से ट्रेनिंग ले रहे है.
एक मूर्ती बनाने में 2 दिन का लगता है समय
उन्होंने आगे कहा कि सरस्वती पूजा हमलोगों के लिए सबसे बडा पर्व रहता है. हमलोग इसकी तैयारी 3 महीने पहले से शुरू कर देते है. इसके लिए सर्वप्रथम मूर्ति की मिट्टी को आस पास को तालाबों से मंगवाया जाता है. लकड़ी और धान के बिचाली के मदद से सांचा तैयार किया जाता है. उस सांचे में तालाबों से लाए हुए मिट्टी को उसपर लगाया जाता है. फिर मिट्टी सूखने के बाद उसके ऊपर नकाशी की जाती है. तद्पश्चत उस मूर्ती में कोलकता से मंगाए हुए पॉलिश मिट्टी से पॉलिश किया जाता है. अंत में माता की मूर्ति को श्रृंगार किया जाता है. एक मूर्ति को बनाने में कम से कम 2 दिन का समय लगता है.
500 से शुरू हो जाती है मूर्ति
मूर्तिकार अशीष ने कहा है कि इस बजार में मूर्ति 500 रुपये से शुरू हो जाती है. इस वर्ष की सबसे महंगी मूर्ती 25551 की बन रही है. यह मूर्ति 12 फीट ऊंचा और 10 फीट चौड़ा है. इस मूर्ति का ऑर्डर हजारीबाग के ओरिया क्लब के द्वारा दिया गया है. इसको बनाने में लगभग 10 दिन का समय लगेगा. मूर्ती का दाम उसके साइज से तय होता होता है.
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FIRST PUBLISHED : February 3, 2024, 17:34 IST