‘ये धार्मिक नहीं, राजनीतिक आयोजन है’, राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर कांग्रेस ने BJP से पूछे बड़े सवाल

22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह होना है। हालांकि, इसको लेकर राजनीति भी खुब हो रही है। कांग्रेस की ओर से अब बड़ा आरोप लगाया गया है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि प्राणप्रतिष्ठा करने की एक प्रणाली और अनुष्ठान है… यदि यह आयोजन धार्मिक है, तो क्या यह चारों पीठों के शंकराचार्यों के मार्गदर्शन में हो रहा है? चारों शंकराचार्यों ने स्पष्ट कहा है कि अधूरे मंदिर की प्राणप्रतिष्ठा नहीं की जा सकती। अगर यह आयोजन धार्मिक नहीं है, तो राजनीतिक है… यह स्वीकार्य नहीं है कि एक राजनीतिक दल के लोग मेरे और मेरे भगवान के बीच बिचौलिए बनकर बैठे हैं… एक राजनीतिक समूह ‘ठेकेदार’ की तरह काम कर रहा है… जो तारीख तय करने से पहले बीजेपी ने ‘पंचांग’ देखा? चुनाव को ध्यान में रखते हुए तारीख का चयन किया गया है। 

पवन खेड़ा ने कहा कि क्या भगवान के मंदिर में निमंत्रण से जाया जाता है? किस तारीख को किस श्रेणी का व्यक्ति मंदिर जाएगा, क्या यह एक राजनीतिक दल तय करेगा? क्या एक राजनीतिक दल तय करेगा कि मैं अपने भगवान से मिलने कब जाऊं? न इंसान किसी को मंदिर में बुला सकता है और न इंसान किसी को मंदिर जाने से रोक सकता है। उन्होंने कहा कि एक पूरा संगठन मेरे धर्म का ठेकेदार बनाकर बैठा है, इनकी पूरी IT सेल चारों पीठों के शंकराचार्यों के खिलाफ एक मुहीम छेड़कर बैठी है। इस पूरे आयोजन में कहीं भी धर्म, नीति और आस्था नहीं दिखाई दे रही, सिर्फ राजनीति दिखाई दे रही है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 22 जनवरी की तारीख का चुनाव नहीं किया गया है, बल्कि चुनाव देखकर तारीख तय की गई है। किसी एक व्यक्ति के राजनीतिक तमाशे के लिए हम अपने भगवान और आस्था के साथ खिलवाड़ होते हुए नहीं देख सकते। मंदिर निर्माण का कार्य विधिवत पूरा हो, लेकिन इसमें किसी प्रकार का राजनीतिक दखल कोई भी भक्त बर्दाश्त नहीं करेगा। उन्होंने सवाला किया हम जानना चाहते हैं…- मंदिर में कौन आएगा और कौन नहीं, ये बताने वाले आप कौन हैं? प्राण प्रतिष्ठा में VVIP एंट्री लगाने वाले आप कौन हैं? कैमरों की फौज लेकर आधी-अधूरी प्राण प्रतिष्ठा करने वाले आप कौन हैं? 

खेड़ा ने कहा कि विज्ञापन में भगवान राम को उंगली पकड़ाकर चलाने वाले आप कौन हैं, क्या आप भगवान से ऊपर हैं? शंकराचार्यों को नाराज करके RSS के सरसंघचालक वहां जाकर बैठेंगे, प्रधानमंत्री मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा उनकी देखरेख में करेंगे। ये कतई धार्मिक आयोजन नहीं है, ये पूरी तरह राजनीतिक आयोजन है। सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि धर्म व्यक्तिगत आस्था का विषय है। फिर इसका इतना वीभत्स राजनीतिकरण क्यों किया जा रहा है? धार्मिक अनुष्ठानों में राजनीति करना सर्वथा गलत है। यही कारण है कि आज हिंदू धर्म के चार शकराचार्यों ने फैसला लिया है कि वो अयोध्या नहीं जाएंगे। उन्होंने कहा कि राम राज्य में तो ऐसा नहीं था कि किसी आदिवासी के सिर पर पेशाब की जाए, भगवान राम ने तो शबरी के बेर खाए थे।



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