दीपक कुमार/बांका: मछली पालन कम लागत में बेहतर मुनाफा देने वाला व्यवसाय है. यह किसानों की आय को बढ़ाने में मददगार है. धान और गेहूं की तुलना में मछली पालन से किसान 15 गुना अधिक मुनाफा कमा सकते हैं. आज हम बांका जिले के एक ऐसे ही मछली पालक की कहानी बताने जा रहे हैं, जोकि पिछले कई वर्षों से मछली पालन के साथ मुर्गी पालन और बकरी पालन के साथ बागवानी भी कर रहे हैं. बांका जिले के रजौन प्रखंड के उपरामा गांव के रहने वाले रितेश कुमार गांव में दो एकड़ में सात तालाब में मछली पालन कर रहे हैं.
रितेश कुमार ने बताया कि पूर्वजों की भूमि पर कुछ अलग करने की इच्छा थी. इसी के तहत तालाब खुदवाया और मछली पालन करना शुरू कर दिया. वहीं, तालाब के किनारे केले और अमरूद के पौधे भी लगाए हैं. तालाब के पास ही सोनाली नस्ल की मुर्गियां के अलावा कबूतर और बकरी पालन कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि 2 एकड़ में सात तालाब हैं, जिसमें दो छोटे हैं. बड़े तालाब में सीलन मछली का पालन करते हैं, तो साथ ही छोटे तालाबों को नर्सरी के रूप में उपयोग करते हैं. इससे सालाना तीन लाख से अधिक की कमाई हो जाती है. उन्होंने बताया कि सबसे पहले तालाब का निर्माण कराया था. इसके बाद केवीके के निर्देश पर मुर्गी पालन शुरू किया. मुर्गी की बीट मछली के लिए उपयोगी होती है. साथ ही तालाब के किनारे पौधे लगाने से मछलियों को भी फायदा होता है.
मिश्रित खेती से कमा रहे हैं 12 लाख से अधिक मुनाफा
रितेश कुमार ने बताया कि तालाब के किनारे चारों तरफ लगे अमरुद और केले की बागवानी से दो लाख की कमाई हो जाती है. वहीं, तालाब से सटे शेड में बकरी पालन करते हैं. फिलहाल 32 बकरियों को पाल रहे हैं. कई बकरियों की बिक्री भी हो चुकी है. इससे भी सालाना डेढ़ लाख तक की कमाई हो जाती है. इसके अलावा देसी नस्ल की सोनाली मुर्गियां और कबूतर भी पाल रहे हैं. वहीं, धान, गेहूं, सरसों, चना सहित अन्य फसलों की भी खेती करता हूं. रितेश कुमार ने बताया कि उपरामा गांव में अधिकतर लोग पारंपरिक खेती के साथ मिश्रित खेती करते हैं. इसे देखकर ही मिश्रित खेती करना आरंभ किया. आज इस खेती से काफी फायदा मिल रहा है. वहीं, मिश्रित खेती से सालाना 12 लाख की कमाई हो जाती है.
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FIRST PUBLISHED : January 22, 2024, 14:42 IST