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संध्या ने जब प्रभात से शादी करने की बात मां को बताई, तब पहले तो मां ने हां कर दिया, लेकिन उसके बाद उन्होंने मना कर दिया. तब संध्या ने शादी की जिद की तो मां ने उसे घर से निकाल दिया. तब जबलपुर की बीएचसीएचआई संस्था ने संध्या को न केवल छत दी, बल्कि उसकी शादी प्रभात से करवाने का आश्वासन भी दिया. हालांकि, प्रभात के घरवाले शादी के लिए तैयार थे, तब संस्था संध्या का परिवार बनी और धूमधाम से शादी करवाई गई.