अंकित कुमार सिंह/सीवान. हम सब के किचन में आलू हमेशा दिख जाता है. जो भूरे रंग का होता है. सामान्य दिनों में यह 10-12 रुपए किलो कहीं भी मिल जाता है.लेकिन, आलू की एक प्रजाति काले रंग की भी होती है, जो सामान्यतया अमेरिका में पाया जाता है. रंग अलग होने के साथ-साथ इसका गुण भी अलग होता है. यही कारण है कि सामान्य दिनों में भी यह आलू 300 से 500 रुपए किलो तक बिक जाता है. अब इसकी खेती बिहार के भी कुछ इलाके में शुरू हो गई है. सीवान जिला भी इसमें शामिल है. यहां के एक किसान ने इस बार दो कट्ठा में काले आलू की खेती है. चौंकाने वाली बात यह है कि हार्वेस्टिंग से पहले ही नेपाल के व्यापारी ने एडवांस में बुकिंग भी कर ली है.
सीवान जिले के किसान सुरेश कुमार ने इस साल 10 कट्ठा में आलू की खेती है. इसमें दो कट्ठा में कला, तीन कट्ठा में नील कंठ और 5 कट्ठा में साधारण आलू की खेती की है. वे बताते हैं कि पिछली बार उन्होंने ट्रायल के रूप में एक कट्ठा में काले आलू की खेती की थी. पैदावार बढ़िया आया तो इस बार दो कट्ठा में खेती की. वे बताते हैं कि काला आलू की खेती बृहद रूप में करना चाहते थे. हालांकि, पर्याप्त बीज नहीं मिलने की वजह से सीमित खेती की है. खेती से ज्यादा मुश्किल बीज का मिलना है.
300 से 500 रुपए किलो तक है रेट
किसान सुरेश बताते हैं कि काला आलू अभी मार्केट में नया है. यह शुगर फ्री भी है. शुगर के मरीज भी इसको खा सकते हैं. यही वजह है कि साधारण व अन्य आलू की अपेक्षा यह काफी महंगा होता है. मार्केट में इस समय इस आलू की कीमत 300 से 500 रुपए किलो तक है. उन्होंने बताया कि इस बार तो हार्वेस्टिंग से पहले ही डिमांड आने लगा है. अब तक 5 क्विंटल आलू की बुकिंग हो गई है. पैक कर नेपाल भेजा जाएगा.
120 दिन में तैयार होता है काला आलू
किसान सुरेश कुमार ने बताया कि उन्होंने लगभग 2 कट्ठा खेत में काले आलू की खेती की थी. खेती मेंएक क्विंटल बीज लगा था. फसल को तैयार होनेमें 120 दिन का समय लगता है. फसल अब तैयार होने को है, तो उन्हें उम्मीद है कि10 से 12 क्विंटल काले आलू का उत्पादन होगा. वे एक से दो सप्ताह के बाद हार्वेस्टिंग करेंगे. इसके अलावा अभी नीलकंठ आलू और साधारण आलू की हार्वेस्टिंग शुरू हो चुकी है. खेत से आलू निकालने के बाद सीधे बाजार में भेज दिया जा रहा है.
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FIRST PUBLISHED : February 8, 2024, 16:01 IST