कृष्ण गोपाल द्विवेदी/बस्ती. नवरात्र में हर ओर मां दुर्गा की पूजा अर्चना की जा रही है तो, भक्त अपनी आस्था से हर तरह की पूजा पाठ का आयोजन कर रहे हैं. वहीं शहर में कई जगह लोग मां दुर्गा की प्रतिमा बैठा कर पूजा पाठ करते हैं. इसी कड़ी में बस्ती में इन दिनों एक जगह मां दुर्गा (Maa Durga) की विभिन्न रूपों में में स्थापना की गई है. इस बीच बस्ती में मां दुर्गा का एक अलग ही रूप में देखने मिला. यह प्रतिमा शहर के साथ जिले भर के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. जिसे देखने दूर दराज से यहां लोग आ रहे हैं. मान्यता है कि जो भी भक्त यहां संतान की कामना से आता है उसकी इच्छा जरूर पूरी होती है.
ज़िला मुख्यालय से 6 किमी की दूरी पर झलकटिया में ऐसी दुर्गा प्रतिमा स्थापित है जिसके 56 भुजाएं हैं. यह परंपरा विगत 70 वर्षों से चली आ रही है. जिसको देखने के लिए पूरे देश से श्रद्धालु आते हैं. सबसे ख़ास बात यह है कि यह प्रतिमा हर साल विसर्जन स्थल तक ले जाया जाता है लेकिन विसर्जन नहीं किया जाता है. 56 भुजाओं वाली यह देवी प्रतिमा बस्ती जनपद की दूसरी सबसे पुरानी प्रतिमा है. जिसकी स्थापना 1939 में की गई थी. जिसके दर्शन के लिए पटना, दिल्ली, लखनऊ, गोरखपुर और देवरिया तक के लोग आते हैं.
प्रार्थना करने से होती है संतान की प्राप्ति
प्रतिमा के संस्थापक शिव कुमार ने बताया कि मेरे पिता स्वर्गीय संतराम कुसमी जंगल गए हुए थे जहां उन्हें माता जी ने साक्षात दर्शन दिया जिनकी 56 भुजाएं थी. जिसके बाद घर आकर बांस, बल्ली, पटरे की मदद से उन्होंने 56 भुजाओं वाले मां की प्रतिमा का निमार्ण किया और 1939 से हर नवरात्री में दुर्गा प्रतिमा स्थापित की जाती है. मां का दर्शन करने के कई प्रदेश के लोग यहां आते हैं और माता से जो भी मुरादे मांगते हैं वो जरूरी पूरी होती है. मेरे जानकारी में 70-80 लोग ऐसे हैं जिन्हें संतान सुख की प्राप्ति नहीं हो पा रही थी लेकिन मां ने उन सभी लोगों को संतान सुख प्राप्त किया है.
दर्शन के लिए आते हैं हजारों भक्त
एक ग्रामीण लाल बचन ने बताया कि मैं 50 वर्षों से मां के महिमा का गवाह हूं. इनसे जो भी मुरादे मांगी जाती है सब पूरी होती है. सभी ग्रामीण पूरे नवरात्री मां की आराधना करते हैं और मां सबको सुखी भी रखती हैं. मान्यता है कि जो भी दम्पत्ति सच्चे मन से मंदिर में बच्चे की कामना करता है, ईश्वर उनकी इच्छा जरूर पूरी करते हैं. इसीलिए कई लोग संतान प्राप्ति के बाद भी यहां दर्शन के लिए आते हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 22, 2023, 10:01 IST