शाश्वत सिंह/झांसी. झांसी अपनी अनोखी और अनूठी परंपराओं के लिए मशहूर है.ऐसी ही एक अनोखी परंपरा रावण वध की है. जी हां, झांसी के एरच कस्बे में दशहरा के 15 दिन बाद रावण दहन की परंपरा है. इस मौके पर एक भव्य रावण का दरबार लगाया जाता है.इस कार्यक्रम को देखने के लिए आसपास के कई गांव के लोगों की भीड़ उमड़ती है. यहां भव्य राम-रावण युद्ध और रावण वध कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है.
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह परंपरा यहां लम्बे समय से चली आ रही है. यहां दशहरे के बाद रामलीला की शुरुआत होती है और सभी लोग इस रावण वध कार्यक्रम को देख सकें इसलिए इसका आयोजन भी दशहरे के बाद किया जाता है. अंतिम दिन जो कार्यक्रम होता है उसमें बुंदेलखंड की सभी लोक परंपराएं देखने को मिलती हैं. इसके साथ ही अलग-अलग देवताओं की झांकियां देखने को मिलती हैं. मौनिया और दीवारी जैसी परंपराएं यहां होती हैं. इसको देखने के लिए आस पास के जिले से भी लोग आते हैं.
हिंदू मुस्लिम मिलकर करते हैं आयोजन
स्थानीय निवासी शंकर लाल बताते हैं कि एरच का रावण वध बहुत प्रसिद्द है. यहाँ दीपावली के पहले रावण वध किया जाता है, जिससे दूर दूर से आकर लोग देख सकें. यह परम्परा बहुत समय से चली आ रही है. इस आयोजन में रावण वध के अलावा महाकाली दरबार, राम दरबार, लंगूर वीर, नर सिंह दरबार, पुतला भट्टी, खुनी भट्टी, रावण दरबार, चौसठ योगिनी काल भैरव समेत अनेक तरह के प्रदर्शन और स्वांग भी होते हैं. यहाँ आयोजन में हिन्दू मुस्लिम दोनों ही समुदाय के लोग मिलकर इस आयोजन को करते हैं. रामलीला में भी मुस्लिम समुदाय के लोग हिस्सा निभाते हैं.
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FIRST PUBLISHED : November 8, 2023, 08:09 IST