अस्पतालों में लगातार डेंगू के मरीज बढ़ रहे हैं।
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प्रदेश में डेंगू मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसमें 20 से 30 फीसदी मरीज डेंगू 2 स्ट्रेन के हैं। चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि डेंगू 2 स्ट्रेन के मरीज हर साल मिलते हैं। ऐसे में इससे घबराने की जरूरत नहीं है। इतना जरूर है कि पांचवें से आठवें दिन विशेष सावधानी बरतें। शरीर पर चकत्ते दिखें तो तत्काल चिकित्सक से सलाह लेना चाहिए।
प्रदेश में जनवरी से अब तक 6136 मरीज मिले हैं। इसमें सात की मौत हो चुकी है। सर्वाधिक सात सौ मरीज जीबी नगर में मिले हैं। करीब पांच सौ मरीज गाजियाबाद में मिल चुके हैं। पिछले दिनों स्वास्थ्य विभाग की ओर से डेंगू की जीनोम सिक्वेसिंग कराई गई। जीबी नगर के 46 सैंपल में 18 में डेंगू 2 स्ट्रेन मिला है। इसी तरह गाजियाबाद सहित अन्य जिलों के सैंपल में भी 20 से 30 फीसदी सैंपल में डेंगू 2 स्ट्रेन मिला है।
इस संबंध में केजीएमयू के चिकित्सा अधीक्षक और मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डी हिमांशु कहते हैं कि डेंगू के चार स्ट्रेन (1,2,3,4)होते हैं। इसमें डेंगू 1 और 2 स्ट्रेन के मरीज निरंतर मिलते रहे हैं। यह कोई नया नहीं है। जिन लोगों को एक बार डेंगू हो चुका है उन्हें दोबारा डेंगू होता है तो उसमें डेंगू 2 स्ट्रेन ज्यादा पाया जाता है। यदि माहभर के अंदर दो बार डेंगू की चपेट में आए हैं तो विशेष सावधानी बरतें।
शरीर पर चकत्ते पड़े तो तत्काल डॉक्टर को दिखाएं
लोहिया संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक और मेडिसिन विभागाध्यक्ष डा. विक्रम सिंह बताते हैं कि डेंगू 2 स्ट्रेन में सॉक सिंड्रोम की संभावना रहती है। यानी मरीज के आंतरिक नसों से रक्तस्त्राव हो जाता है। ऐसे में पेट में पानी भरने, फेफड़े में संक्रमण भी होता है। आमतौर पर पांचवें से आठवें दिन के बीच खतरनाक स्थिति होती है। इसमें बीपी कम होता है। शरीर पर लाल चकत्ते नजर आते हैं। पेट में दर्द, उल्टी जैसी स्थिति होती है। इस स्थिति में तत्काल डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। जबकि सामान्य स्थिति में डेंगू का असर आठवें दिन से कम होने लगता है।