यूपी-बिहार में कई ऐसे बैक्टीरिया-वायरस हुए एक्टिव, बच्चों की किडनी कर रहे हैं खराब, स्टडी में हुआ खुलासा

रजत भटृ/गोरखपुर: गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने बच्चों के सेहत पर पढ़ रहे बुरे असर को लेकर एक रिसर्च किया. जिसमें यूपी, बिहार में कई ऐसे बैक्टीरिया, वायरस व फंगस एक्टिव है. जो बच्चों के सेहत पर बुरा असर डाल रहे है. खास करके ये किशोर अवस्था में बच्चों की किडनी पर इफेक्ट डाल रहा है. वह उन्हें नेफ्रोटिक सिंड्रोम का शिकार बना दे रहे हैं.

मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग के डॉक्टर ने रिसर्च  किया है. जिसमें ऐसी बीमारी में अब तक बच्चों की रिपोर्ट आने के बाद उन्हें दवा देनी पड़ती है. लेकिन अब डॉक्टर वायरस व फंगस का कल्चर कर के सटीक एंटीबायोटिक दवा देंगे. जिसमें बच्चों को यह प्रॉब्लम होने पर रिपोर्ट का इंतजार नहीं करना पड़ेगा. तुरंत सटीक दवा देकर बीमारी को कंट्रोल किया जा सकेगा.

बच्चों की किडनी खराब कर रहे बैक्टीरिया

मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने स्टडी और रिसर्च करके इलाज खोजने की रिस्पांसिबिलिटी उठाई, अब तक डॉक्टर को बच्चों का कल्चर रिपोर्ट लगभग एक हफ्ते में मिलता था. इसमें काफी समय लगता था इस दौरान डॉक्टर बच्चों को एंटीबायोटिक का डोज देते थे. कभी-कभी यह दवा काम नहीं करती थी, जिससे यह खुद ही रेजिस्टेंस क्रिएट कर देता था. वहीं अब डॉक्टरों ने स्टडी और रिसर्च कर इंफेक्शन, फंगस, बैक्टीरिया इन सभी का पता लगाकर इसका इलाज खोजा है. वहीं डॉक्टरों ने इसके लिए कई बच्चों को शामिल किया है. जिसमें वायरस, फंगस के चपेट में आने वाले बच्चों पर स्टडी भी की गई है. साथ ही डॉक्टरों ने एंटीबायोटिक पर भी स्टडी की है ताकि सही इलाज खोजा जा सके.

डॉक्टरों की स्टडी

कॉलेज के डॉक्टरों ने 130 पेशेंट बच्चों पर स्टडी की, इसमें लगभग किडनी के पेशेंट थे. स्टडी के दौरान 104 बच्चे बैक्टीरिया, वायरस, फंगस के हमले के शिकार थे. 26 बच्चे बिल्कुल स्वस्थ थे. इस स्टडी में लगभग 16 साल के बच्चों को शामिल किया गया था. स्टडी करने वाले डॉक्टर राहुल सिंह ने बताया कि स्टडी के बाद बच्चों को नेफ्रोटिक सिंड्रोम में शिकार होने के बाद यह पता चलेगा कि कौन सी एंटीबायोटिक असरदार होगी. साथ ही उनका इलाज आसान होगा. वहीं अब बच्चों को इस कंडीशन में सही एंटीबायोटिक ही दी जाएगी. रिपोर्ट का इंतजार करने से पहले भी बच्चों को यह दवाएं दी जा सकेंगे. जिससे वह नेफ्रोटिक सिंड्रोम के शिकार होने से बच सकेंगे. वह उनकी किडनी पर बुरा असर नहीं पड़ेगा.

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