रूपांशु चौधरी/हजारीबाग. सर्दियों की शुरुआत के साथ ही तिलकुट की सोंधी-सोंधी खुशबू बाजारों में आने लगी है. तिलकुट के नाम से ही गया के तिलकुट को याद किया जाता है. गया के तिलकुट कारीगर इन दिनों हजारीबाग में आकर तिलकुट बनाने के काम में लग गए हैं. कानपुर से मंगवाए गए तिल और हजारीबाग के बड़कागांव के गुड़ को मिलाकर तिलकुट बनाया जाता है. कई वर्षों से यहां 200 से अधिक तिलकुट के कारखाने संचालित थे. इस वर्ष भी अब धीरे-धीरे कारखाने खुलने लगे हैं.
हजारीबाग में बने तिलकुट की मांग झारखंड, बिहार और बंगाल में खूब होती है. इंद्रपुरी में संचालित होने वाले तिलकुट कारखाने के संचालक सुनील बताते हैं कि वो यहां 12 सालों से तिलकुट बनावा कर बेचने का काम करते हैं. यह काम महज 3 महीनों का होता है. इसके बाद साल भर दूध बेचने का काम करते हैं. अभी आने वाली मकर संक्रांति के लिए तिलकुट के काम में तेजी लाई गई है.
कानपुर के तिल और बड़कागांव के गुड़ का कमाल
आगे बताया कि लोग अभी से तिलकुट का स्वाद लेने के लिए यहां आ रहे हैं. यहां अधिकांश लोग गुड़ के बने तिलकुट खाना पसंद करते हैं. यह चीनी की तुलना में काफी फायदेमंद है. तिलकुट बनाने के लिए 150 बोरा तिल को कानपुर से मंगवाया गया है. साथ ही बड़कागांव से गुड़ मंगवाया गया है. गया से 10 कारीगर तिलकुट बनाने के लिए आए हैं.
ऐसे होता है तैयार
तिलकुट बनाने वाले कारीगर शिवम यादव ने बताया कि वह गया से आए हैं. गया में वह राजमिस्त्री का काम करते हैं. ठंड आने के साथ वह तिलकुट बनाने आ जाते हैं. तिलकुट बनाने के लिए सबसे पहले गुड़ को उबालकर चाशनी बनाते हैं. फिर चाशनी सूख जाने के बाद उसे खींच-खींच कर उसमें रेशे निकाले जाते हैं. फिर तिल को भूनकर ठंडा किया जाता है. तिल ठंडा हो जाने के बाद उसमें रेशे मिलाकर पुनः गुड़ के रेशे को गरम किया जाता है. फिर उसमें रेशे को तिल को मिक्स कर गोल आकार दिया जाता है. अंत में तिल और गुड़ के मिश्रण को लोहे से लगभग 20 बार पीटकर तिलकुट का आकार दिया जाता है.
ये रहा भाव
संचालक सुनील बताते हैं कि अभी दुकान में दो प्रकार के तिलकुट और एक तिल की बनी टिकिया है. गुड़ के बने तिलकुट की कीमत 340 रुपये किलो, चीनी के बने हुए 300 रुपए किलो और तिल की टिकिया की कीमत 300 रुपये किलो है.
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FIRST PUBLISHED : November 25, 2023, 07:31 IST